गोमिया : मलेशिया में फंसे गोमिया के दो मजदूरों की वापसी के बाद उनके शोषण की लोमहर्षक कहानी सामने आ रही है. काम करने के तीन माह बाद से मजदूरी शुरू हुई. तय मजदूरी से आधे से भी कम भुगतान. यातनाएं दी जाती थीं सो अलग. बड़की चिदरी पंचायत के चिलगो ग्राम निवासी राजेन्द्र महतो एवं जरकुंडा निवासी लोकनाथ रविदास सोमवार की रात अपने घर पहुंच गये. बाकी सात मजदूर अभी तक अपने पैतृक घर गोमिया के बड़की सिधाबारा एवं चिलगो नहीं पहुंचे हैं. राजेंद्र व लोकनाथ ने मलेशिया में अपने साथ हो रहे उत्पीड़न व शोषण की कहानी बयां की है.
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मलेशिया से लौटे राजेंद्र व लोकनाथ को नहीं मिलती थी आधी भी मजदूरी
गोमिया : मलेशिया में फंसे गोमिया के दो मजदूरों की वापसी के बाद उनके शोषण की लोमहर्षक कहानी सामने आ रही है. काम करने के तीन माह बाद से मजदूरी शुरू हुई. तय मजदूरी से आधे से भी कम भुगतान. यातनाएं दी जाती थीं सो अलग. बड़की चिदरी पंचायत के चिलगो ग्राम निवासी राजेन्द्र महतो […]
कपड़े भी रख लिये कंपनी वालों ने : अपने घर पहुंचे राजेंद्र महतो के अनुसार शेष सात लोग भी मलेशिया स्थित भारतीय दूतावास पहुंच चुके थे. वे लोग भी शीघ्र ही अपने घर पहुंच जायेंगे. हजारीबाग में रहनेवाले चंद्रशेखरन (तमिलनाडु) की मदद से मलेशिया गये थे. वे लोग मलेशिया में लीड मास्टर इंजीनियरिंग कंस्ट्रक्शन कंपनी में टावर लाइन का काम करने लगे. उन्हें 1800 रिंगिट प्रतिमाह की जगह सिर्फ 700 रिंगिट ही दिया जाता था. भुगतान काम शुरू करने के तीन माह बाद शुरू हुआ.
पूछने पर कहा जाता था कि खर्चे काटकर मासिक भुगतान किया जा रहा है. कई माह का वेतन भी नहीं दिया गया. उनके कपड़े सहित अन्य सामान भी रख लिये गये. लेकिन मलेशिया में स्थित भारतीय दूतावास के माध्यम से हमलोग सही सलामत अपने वतन पहुंच गये हैं. इसके लिए उन्होंने भारत सरकार का आभार जताया है.
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