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चास-चंदनकियारी से 20 हजार श्रद्धालु पैदल गये चिड़का धाम

चास: सावन की तीसरी सोमवारी को चिड़का धाम में बाबा गौरी नाथ पर जलाभिषेक करने के लिए चास-चंदनकियारी क्षेत्र के करीब 20 हजार श्रद्धालु रविवार को रवाना हुए. श्रद्धालुओं ने दामोदर व गरगा नदी से जल उठाया और पैदल चिड़का धाम गये. नदी तट और सड़क केसरिया रंग से पट गये. बोल बम के जयकारों […]

चास: सावन की तीसरी सोमवारी को चिड़का धाम में बाबा गौरी नाथ पर जलाभिषेक करने के लिए चास-चंदनकियारी क्षेत्र के करीब 20 हजार श्रद्धालु रविवार को रवाना हुए. श्रद्धालुओं ने दामोदर व गरगा नदी से जल उठाया और पैदल चिड़का धाम गये. नदी तट और सड़क केसरिया रंग से पट गये. बोल बम के जयकारों से क्षेत्र गूंजता रहा. कांवरियों की सेवा के लिए तेलमच्चो ब्रिज, पुपुनकी, कालापत्थर, नावाडीह, बाधाडीह, तलगड़िया मोड़, चास, जोधाडीह मोड़, आइटीआइ मोड़, कुर्रा, संथालडीह, पिंड्राजोरा सहित अन्य जगह सामाजिक संगठनों द्वारा शिविर लगाये गये. शिविरों में पानी, मेडिकल, नाश्ता सहित अन्य सुविधाओं की व्यवस्था थी.
पिंड्राजोरा थाना के पास गुटखा गैंग चास-बोकारो की ओर से लगाये गये शिविर में फाउंटेन के साथ लगा शिव दरबार आकर्षण का केंद्र रहा. यहां कांवरियाें ने भजन संध्या का आनंद उठाया. मुख्य पथ को रौशन करने के लिए टावर लाइट की व्यवस्था थी. गुटखा गैंग अध्यक्ष संतोष वर्णवाल ने बताया कि आने वाले वर्षों में कांवरियों को और सुविधाओं दी जायेगी.
बोकारो. बजरंग दल बोकारो महानगर के श्रीराम नगर (सेक्टर 01, 02, 03 व कैंप 02 क्षेत्र) के सदस्य चिड़का धाम रवाना हुए. मौके पर विहिप बोकारो अध्यक्ष संतोष सिंह, अशोक कुमार, अन्नु सिंह, प्रणय दीप, मुकेश, दीपक परमार, धीरज झा, दिलीप, अनुपम, पंकज, रोहित, विशाल, विजय मौजूद थे.
सैकड़ों वर्षों से आस्था का केंद्र है चिड़का धाम
चिड़का धाम का इतिहास बहुत पुराना है. पुस्तिका शिव रहस्य के मुताबिक 400 वर्ष पूर्व पुरूलिया जिला का यह क्षेत्र जंगल था. यहीं एक जोरिया है, जहां श्मशान काली साधक चड़क मुनि रहते थे. इनके नाम पर ही चिड़का गांव बसा हुआ है. मंदिर वाली जमीन हुलका निवासी गौरी नाथ महतो की थी. इस जगह पर चरवाहा गाय सहित अन्य पशुओं को चराने ले जाया करते थे. काला रंग की एक गाय झाड़ी में खड़ा हो कर प्रतिदिन एक शिव लिंग पर दूध गिराती थी. घर में गौरीनाथ महतो द्वारा दुहने पर गाय के थन से दूध नहीं निकलता था. उसने फटकारा तो चरवाहा उस गाय पर विशेष रूप से नजर रखने लगा. उसे पता चला कि गाय तो झाड़ी में जाकर दूध गिरा रही है. वहां गया तो शिव लिंग देखा और इसकी सूचना गौरीनाथ महतो को दी. इसके बाद गौरीनाथ महतो ने आकर देखा और झाड़ी को कटवा कर एक सुंदर झोंपड़ी का निर्माण करा दिया. एक दिन बाबा भोलेनाथ गौरीनाथ के सपनों में आये और कहा कि सच्चे मन से भक्ति भाव से पूजा करने से हर इच्छा पूरी होगी. इसके बाद गौरीनाथ ने ब्राह्मणों को बुला कर पूजा शुरू करायी. गौरीनाथ ने चार हजार मन धान की जमीन दान देकर चिड़का धाम गांव बसाया. इस गांव में ब्राह्मण, नापित, डोम, तेली, कुम्हार, लोहार आदि जाति को बसाया गया.

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