हाल. बीते तीन माह में 38, 998 जॉब कार्डधारियों में से 6,117 को ही मिला काम
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चास प्रखंड में मनरेगा का बुरा हाल
हाल. बीते तीन माह में 38, 998 जॉब कार्डधारियों में से 6,117 को ही मिला काम चास : चास प्रखंड में मनरेगा फेल है. प्रशासन लाख दावा कर ले कि मनरेगा के तहत मजदूरों को गांव में ही सौ दिन का रोजगार देकर पलायन रोका जा रहा है, लेकिन आंकड़े कुछ और ही बता रहे […]
चास : चास प्रखंड में मनरेगा फेल है. प्रशासन लाख दावा कर ले कि मनरेगा के तहत मजदूरों को गांव में ही सौ दिन का रोजगार देकर पलायन रोका जा रहा है, लेकिन आंकड़े कुछ और ही बता रहे है. प्रखंड में 38, 998 जॉब कार्डधारी मजदूर हैं. इस वर्ष एक अप्रैल से छह जुलाई तक सिर्फ 6,117 जॉब कार्डधारी मजदूरों को ही रोजगार उपलब्ध कराया जा सका है. इसमें 30.18 फीसदी महिला मजदूर है. किसी को 60 तो किसी को 70 दिन काम दिया गया है.
इस दौरान मनरेगा की योजनाओं पर तीन करोड़ 33 लाख रुपये खर्च किये गये है. ग्रामीणों का कहना है कि जॉब कार्डधारियों को रोजगार नहीं मिलने के कारण रोजगार के लिए वह दूसरे राज्यों में पलायन कर रहे हैं. लेकिन, इसका कोई लेखा-जोखा प्रखंड कार्यालय व श्रम विभाग के पास नहीं है. वैसे प्रखंड में इन दिनों मनरेगा के तहत दो दर्जन से अधिक योजनाएं चल रही हैं, जिसमें डोभा, समतलीकरण, शेड व कूप निर्माण आदि शामिल हैं.
14 पंचायतों में नहीं चल रहा है मनरेगा का काम : चास प्रखंड क्षेत्र के विस्थापित बहुल 14 पंचायतों में मनरेगा का कोई भी काम नहीं चल रहा है. समें रीतुडीह, नरकेरा, कनारी, उकरीद, बांसगोड़ा पूर्वी, बांसगोड़ा पश्चिमी, गोडाबाली उत्तरी व दक्षिणी, माराफारी, मानगो, हैसाबातू पूर्वी व पश्चिमी आदि पंचायतें शामिल हैं. यहां के ग्रामीण असहाय महसूस कर रहे हैं. पंचायत प्रतिनिधि ग्रामीणों के सवालों का जवाब देते-देते परेशान हैं.
योजना बनाओ अभियान के तहत नहीं हो रहा काम
गांवों के योजना बनाओ अभियान शुरू किया गया. इस अभियान में ग्रामीणों ने भाग लेकर दर्जनों योजनाओं का चयन किया था. लेकिन अभियान में लिए गये प्रस्ताव के तहत प्रखंड क्षेत्र की किसी भी पंचायत में काम नहीं हो रहा है. यह आरोप ग्रामीणों ने लगाया है.
पंचायतें हैं 54, रोजगार सेवक मात्र 46
प्रखंड क्षेत्र में पंचायतों की संख्या 54 है और सिर्फ 46 रोजगार सेवक ही कार्यरत हैं. 16 रोजगार सेवक कई पंचायतों के प्रभार में हैं. इसलिए पंचायतों में पूरा समय नहीं दे पाते हैं और मनरेगा का काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है. इसके कारण मनरेगा के उद्देश्यों को पूरा करने में परेशानी हो रही है. इसका असर विकास कार्य पर पड़ रहा है. जॉब कार्डधारी मजदूरों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है.
भंड्रो पंचायत में मनरेगा फेल है. मनरेगा के नाम पर सिर्फ कुछ डोभा का निर्माण कराया गया है. ग्राम सभा में कई योजनाओं का चयन किया गया था. पर इसके अनुसार काम नहीं हो रहा है.
अश्विनी झा, विश्वनाथडीह
गांव में मनरेगा से सिर्फ दो-चार डोभा का ही निर्माण हुआ है. इस वर्ष तो इस पंचायत में एक भी कार्य नहीं किया गया है. रोजगार सेवक क्षेत्र में जाते ही नहीं है. इसके कारण यहां मनरेगा फेल है.
दिनेश उपाध्याय, सियारदाह
गांव में जैसे-तैसे काम चल रहा है. मनरेगा कार्य में गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा जा रहा है. बरसात आते ही मनरेगा से बने कई कुएं धंस गये. रोजगार सेवक अपने जिम्मेवारी के प्रति गंभीर नहीं हैं.
शंकर महतो, बाधाडीह
योजना बनाओ अभियान के तहत गांवों में काम नहीं चल रहा है. काम के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है. रोजगार सेवक भी प्रत्येक दिन पंचायत नहीं जाते हैं. काम ठीक ढंग से नहीं होता है.
अलीमुद्दीन अंसारी, मधुनिया
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