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अनदेखी: चंद्रपुरा-बोकारो व पांडेय पुल चीराचास की कहानी, करोड़ों की लागत से बना है पुल, संपर्क पथ का इंतजार कर रहा पुल

बोकारो: करोड़ों की लागत से बने पुल शो-पीस बन कर रह गये है. पुल सुचारू आवागमन के इंतजार में दिन-रात काट रहा है. ना किसी स्थान से गंतव्य की दूरी कम हुई, ना ही कोई मकसद पूरा हुआ. सबसे बड़ी बात यह कि जनप्रतिनिधि व प्रशासन भी पुल पर आवागमन को सुचारु करने की दिशा […]

बोकारो: करोड़ों की लागत से बने पुल शो-पीस बन कर रह गये है. पुल सुचारू आवागमन के इंतजार में दिन-रात काट रहा है. ना किसी स्थान से गंतव्य की दूरी कम हुई, ना ही कोई मकसद पूरा हुआ. सबसे बड़ी बात यह कि जनप्रतिनिधि व प्रशासन भी पुल पर आवागमन को सुचारु करने की दिशा में रुचि नहीं ले रहे हैं. शुक्रवार को प्रभात खबर ने इन पुल के अहमियत को जानने की कोशिश की.
तो चंद्रपुरा की दूरी मात्र 11 किमी रह जायेगी : बोकारो-चंद्रपुरा पुल के साथ एप्रोच रोड जुड़ जाने से बोकारो शहर से चंद्रपुरा की दूरी मात्र 11 किमी रह जायेगी. फिलहाल चंद्रपुरा तक आरामदेह सफर करने के लिए लोगों को 47 किमी का सफर करना पड़ता है. इसके अलावा यदि लोग सेक्टर 09 से तुपकाडीह वाया कुलिंग पौंड की यात्रा करते हैं तो 34 किमी की दूरी तय करनी होती है. हालांकि लोग विशेष स्थिति में बोकारो-चंद्रपुरा पुल का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन बरसात के दिनों में यह दुर्घटना का कारण बनता है.
चार गांव के 4500 लोगों को मिलेगा फायदा : चंद्रपुरा पुल बन जाने से चार गांव के 4500 लोगों को प्रत्यक्ष रूप से फायदा मिलेगा. पुल के सबसे समीप बसे गांव मंदिर घाट, वास्ते जी, बैधमारा व मधुडीह के लिए विकास की राह खुलेगी. कारण, आवागमन सुचारु होने से व्यवसायिक गतिविधि में इजाफा होगा. मंदिर घाट के ज्यादातर बच्चे चंद्रपुरा स्थित डीवीसी विद्यालय में शिक्षा प्राप्त करते हैं, आवागमन सुचारू होने से बच्चों को फायदा होगा. पुल से होकर ग्रामीण दूध व अन्य उत्पाद को चंद्रपुरा लेकर जाते हैं. आवागमन सुचारू होने से ग्रामीणों को फायदा होगा.
नेताजी आये, भाषण दिये, कुछ नहीं हुआ : ग्रामीणों की माने तो संपर्क पथ निर्माण का वादा हर जनप्रतिनिधि ने किया. पूर्व विधायक समरेश सिंह ने भी इसके प्रति गंभीर बात की. पिछले वर्ष बोकारो विधायक बिरंची नारायण ने भी जोर दिखाने की कोशिश की. लेकिन, कोई परिणाम नहीं आया. बीते दिनों खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय दामोदर बचाओ आंदोलन के बहाने पुल पर कदम रखा, तो ग्रामीणों ने संपर्क पथ की बात कही. यह बात कहां गुम हुई इसकी जानकारी किसी को नहीं है. मतलब, नेताजी आये, भाषण दिये और चले गये.
क्या है परेशानी : बोकारो-चंद्रपुरा पुल के साथ एप्रोच सड़क बनाने के लिए विभिन्न गांव से जमीन अधिग्रहीत करना था. 2012 में पहुंच पथ के लिए 11 करोड़ की राशि की स्वीकृति मिली. 2013 में पहुंच पथ निर्माण का कार्य शुरू भी किया गया, लेकिन, कुछ दिनों के बाद रोक दिया गया. ग्रामीणों की माने तो सड़क निर्माण से कोई परेशानी नहीं है. बस सरकार की नीतियां स्पष्ट होनी चाहिए. सड़क निर्माण का रूट व मुआवजा की राशि को लेकर विवाद है. विवाद कब समाप्त होगा, इसके बारे में अंदाजा लगाना मुश्किल है.

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