लगातार हुई घटनाओं और पोस्टरबाजी ने पुलिस के उस दावे पर भी सवाल खड़ा कर दिया है, जिसमें यह कहा जा रहा था कि बड़े नक्सलियों के सरेंडर से राज्य में माओवादी संगठन खत्म होनेवाला है. नक्सली संगठन से जुड़े सूत्र के मुताबिक पुलिस के समक्ष सरेंडर करनेवाले नक्सलियों में अधिकांश वैसे हैं, जो संगठन में काम करने लायक नहीं रह गये थे या जिन्हें किसी आरोप में संगठन से बाहर कर दिया था या तरजीह देना बंद कर दिया था. हालांकि पुलिस के अधिकारी यह कहते हैं कि लगातार कमजोर हो रहा माओवादी संगठन खुद को मजबूत साबित करने के लिए घटनाओं को अंजाम दे रहा है.
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नक्सल बंदी : पांच साल बाद दिखा पहलेवाला आतंक, रेलवे ट्रैक व स्टेशन को बनाया निशाना, तीन करोड़ का नुकसान
रांची : माओवादियों की बंदी के कारण रांची के खादगढ़ा व आइटीआइ बस स्टैंड से चलनेवाली 450 छोटी-बड़ी बसें नहीं चली़ं रांची बस ऑनर एसोसिएशन के अध्यक्ष कृष्ण मोहन सिंह के अनुसार बस नहीं चलने से तीन करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ़ खादगढ़ा बस स्टैंड से प्रतिदिन 250 बसें चलती हैं. बसों के परिचालन […]
रांची : माओवादियों की बंदी के कारण रांची के खादगढ़ा व आइटीआइ बस स्टैंड से चलनेवाली 450 छोटी-बड़ी बसें नहीं चली़ं रांची बस ऑनर एसोसिएशन के अध्यक्ष कृष्ण मोहन सिंह के अनुसार बस नहीं चलने से तीन करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ़ खादगढ़ा बस स्टैंड से प्रतिदिन 250 बसें चलती हैं.
बसों के परिचालन का हिसाब रखने वाले अब्दुल बारी ने बताया कि सोमवार को 200 बस नहीं चली़ कुछ बस अपने रिस्क पर चली़ प्रतिदन की अपेक्षा यात्रियों की संख्या काफी कम थी़ दूसरे राज्यों से आने वाले यात्रियों को यहां पहुंच कर काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. उन्हें रांची से अन्य जिले के लिए बस नहीं मिल पा रही थी.
* पांच साल बाद दिखा पहलेवाला आतंक
सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ माओवादियों द्वारा आहूत बंद के दौरान प्रभावित इलाकों में लंबे समय बाद डर, आतंक व सन्नाटे का माहौल दिखा. ऐसी स्थिति वर्ष 2011-12 के बाद नहीं दिखी थी. इसकी वजह नक्सलियों ने बंद से पहले 23 से 27 मई के बीच विरोध सप्ताह के दौरान बोकारो के गोमिया में रेलवे ट्रैक विस्फोट कर उड़ाया, फिर स्टेशन में आग लगा दी. बोकारो, गुमला, लातेहार व लोहरदगा में भी एक-एक घटना को अंजाम दिया. नक्सल प्रभावित इलाकों में लगातार पोस्टरबाजी की. जिससे नक्सल प्रभावित इलाकों में डर का माहौल बना. इस दौरान पुलिस की तरफ से ऐसी कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिससे नक्सलियों को नुकसान उठाना पड़े. विरोध सप्ताह और बंद के दौरान ज्यादा नुकसान रेलवे और कंस्ट्रक्शन कंपनियों को हुआ है.
लगातार हुई घटनाओं और पोस्टरबाजी ने पुलिस के उस दावे पर भी सवाल खड़ा कर दिया है, जिसमें यह कहा जा रहा था कि बड़े नक्सलियों के सरेंडर से राज्य में माओवादी संगठन खत्म होनेवाला है. नक्सली संगठन से जुड़े सूत्र के मुताबिक पुलिस के समक्ष सरेंडर करनेवाले नक्सलियों में अधिकांश वैसे हैं, जो संगठन में काम करने लायक नहीं रह गये थे या जिन्हें किसी आरोप में संगठन से बाहर कर दिया था या तरजीह देना बंद कर दिया था. हालांकि पुलिस के अधिकारी यह कहते हैं कि लगातार कमजोर हो रहा माओवादी संगठन खुद को मजबूत साबित करने के लिए घटनाओं को अंजाम दे रहा है.
बंदी के कारण कोर्ट नहीं जा पाये यात्री : अब्दुल बारी ने बताया कि दो व्यक्ति सोमवार की सुबह बिहार के शेरघाटी से चाईबासा जाने के लिए रांची अाये थे़ चाईबासा कोर्ट में उन्हें उपस्थित होना था, लेकिन उन्हें बताया गया कि बंदी के कारण चाईबासा कोई बस नहीं जा रही है. थोड़ी देर बाद पांच बजे दूसरी बस से दोनों यात्री वापस शेरघाटी चले गये़.
आइटीआइ बस स्टैंड से केवल 10 बसें चली : आइटीआइ बस स्टैंड से प्रतिदिन 200 बसें चलती हैं, लेकिन सोमवार को यहां से केवल 10 बसें चली़ एजेंट समसुल होदा ने बताया कि बसें अपने रिस्क पर चली़ गुमला रोड में गौरव नामक छह बस अप-डॉउन करती रही़ आइटीआइ बस स्टैंड से डालटनगंज, गढ़वा, लातेहार, चतरा, बालूमाथ, पांकी, खलारी, गुमला, सिसई भरनो, जसपुर, अंबिकापुर, रायपुर, विलासपुर, पटना, सिवान और कोलकाता के लिए 200 बस चलती हैं. सभी बस स्टैंड में ही खड़ी थी़.
छोटी गाड़ियों ने लिया दोगुना भाड़ा : आइटीआइ बस स्टैंड के एजेंट समसुल होदा ने बताया कि बस बंद होने पर बोलेरो व सूमो स्टैंड से चल रहे थे़ डालटनगंज का भाड़ा 250 रुपये लिया जा रहा था, जबकि वहां का भाड़ा 120 रुपये है़ गुमला का भाड़ा दो सौ रुपये लिया जा रहा था, जबकि सही भाड़ा 80 रुपये है़.
एक सप्ताह में तीन बार रेलवे ट्रैक व स्टेशन को निशाना बनाया गया
भाकपा माओवादी के नक्सलियों ने पिछले एक सप्ताह में रेलवे को तीन बार निशाना बनाया. दो घटना में विस्फोट कर ट्रैक को उड़ा दिया, जिससे घंटों ट्रेनों का परिचालन बाधित रहा. वहीं, एक घटना में नक्सलियों ने स्टेशन को ही जला दिया. दो घटनाएं बोकारो जिला के गोमिया इलाके में हुई, जबकि एक घटना गिरिडीह जिला में. गिरिडीह जिला में हाल के वर्षों में रेलवे को निशाना बनाने की घटना नहीं हुई थी. स्टेशन को जलाये जाने की घटना के बाद आरपीएफ डीजी ने घटनास्थल का दौड़ा किया. डीजीपी के साथ बैठक कर रेल पटरियों व स्टेशन की सुरक्षा पर मंथन भी किया, लेकिन बंद के दौरान इसका फायदा नहीं मिला. घटनाओं के आंकड़े पर गौर करें, तो साफ है नक्सलियों ने वर्ष 2012, वर्ष 2014, वर्ष 2015 व वर्ष 2016 में चार घटनाओं में रेलवे को निशाना बनाया, जबकि वर्ष 2013 में एक घटना में. लेकिन इस साल सिर्फ एक सप्ताह के भीतर तीन बड़ी घटनाओं को अंजाम देकर सुरक्षा के वादे पर सवाल खड़ा कर दिया है.
बंद के दौरान कहां क्या स्थिति रही
रांची के खादगढ़ा व आइटीआइ बस स्टैंड से खुलनेवाली 550 में से 450 बसें नहीं चलीं.
नक्सल प्रभावित इलाकों में ट्रकों का परिचालन नहीं हुआ.
कोयला क्षेत्र में कोयले की ढुलाई प्रभावित रही.
नौ जिलों के ग्रामीण इलाकों में हाट-बाजार बंद रहे और सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा.
सिमडेगा में बंद का व्यापक असर देखा गया. वाहन नहीं चले.
गिरिडीह के डुमरी-भरखर रोड पर नक्सलियों ने बड़ा बैनर लगाया.
दुमका के काठीकुंड में चांदनी चौक, मध्य विद्यालय दलदली, गोपाकांदर के खरौनी बाजार परिसर, अहिरचुआ के सभी क्रशरों पर नक्सलियों ने पोस्टर चिपकाया.
लोहरदगा में बंद का आंशिक असर दिखा. लंबी दूरी के वाहन नहीं चले.
चतरा में बंद का व्यापक असर देखा गया. सड़क पर इक्के-दुक्के वाहन चले.
गुमला में बंद का असर दिखा. 160 बसें, 700 छोटी सवारी गाड़ी, 600 से अधिक बॉक्साइट ट्रक नहीं चले. 18 पेट्रोल पंप भी बंद रहे.
लातेहार, पलामू व गढ़वा में भी लंबी दूरी की बसें व ट्रक नहीं चले.
छह वर्षों के दौरान हुई नक्सली घटनाएं
वर्ष 2012
14 मई : चाईबासा के मनोहरपुर के पोसैता स्टेशन पर टाटा-विलासपुर पैसेंजर ट्रेन को कब्जे में किया.
27 जून : बंद के दौरान नक्सलियों ने लातेहार के हेहेगढ़ा स्टेशन पर रेलवे ट्रैक व मालगाड़ी के इंजन के नीचे विस्फोट कर उड़ाया.
27 जून : नक्सली बंद के दौरान धनबाद के तेतुलमारी में रेलवे ट्रैक को विस्फोट कर उड़ाया.
07 जुलाई : लातेहार के हेहेगढ़ा स्टेशन पर मालगाड़ी की चाबी और चालक का मोबाइल फोन लूटा.
वर्ष 2013
06 अप्रैल : लातेहार के बरवाडीह-छिपादोहर रेलवे स्टेशन के बीच ट्रैक को क्षतिग्रस्त किया.
वर्ष 2014
17 अप्रैल : बोकारो के दनिया व जगेश्वर बिहार स्टेशन के बीच विस्फोट कर ट्रैक को उड़ाया.
08 सितंबर : लातेहार बेंदी रेलवे स्टेशन के पास रेलवे ट्रैक को उड़ाया.
20 अक्तूबर : बोकारो के दनिया व जगेश्वर बिहार रेलवे स्टेशन के बीच ट्रैक को विस्फोट कर उड़ाया.
21 अक्तूबर : नक्सली बंद के दौरान बोकारो के जारंगडीह रेलवे स्टेशन के पास ट्रैक को विस्फोट कर उड़ाया.
वर्ष 2015
02 फरवरी : बंद के दौरान नक्सलियों ने बोकारो के नावाडीह क्षेत्र में विस्फोट कर ट्रैक उड़ाया.
12 फरवरी : बंद के दौरान धनबाद के हरिहरपुर के भोलीडीह हॉल्ट के पास ट्रैक को उड़ाया.
23 जून : लातेहार के छिपादोहर रेलवे स्टेशन के पास ट्रैक उड़ाया.
वर्ष 2016
06 अक्तूबर : गोमिया के डुमरी बिहार स्टेशन पर नक्सलियों ने रेल इंजन में आग लगा दी.
10 अक्तूबर : दनिया व जगेश्वर बिहार स्टेशन के बाद विस्फोट कर रेलवे ट्रैक क्षतिग्रस्त किया.
11 अक्तूबर : बंद के दौरान दनिया व डुमरी बिहार रेलवे स्टेशन के बीच ट्रैक उड़ाया.
19 मई : जमशेदपुर के चाकुलिया में नक्सलियों ने धनबाद-झारग्राम ट्रेन के चालक को बंधक बना कर मारपीट की. फायरिंग भी की.
वर्ष 2017
23 मई : गोमिया के कांशीटांड़ के जंगल में नक्सलियों ने रेलवे ट्रैक पर 40 केन बम विस्फोट किया. जवानों पर फायरिंग भी की.
26 मई : बोकारो के गोमिया के डुमरी विहार स्टेशन में आग लगा दी. इसमें सभी रेल उपकरण व मालगाड़ी का इंजन जल गया.
29 मई : गोमो-पारसनाथ के बीच चिचांकी स्टेशन के पास नक्सलियों ने ट्रैक उड़ाया.
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