चतरा में पिछले छह माह के भीतर माओवादियों ने कई वारदातों को अंजाम दिया है. तीन घटनाओं में पांच लोगों की हत्या के अलावा इटखोरी क्षेत्र में पुल निर्माण में लगे वाहनों को जलाने की घटना हुई है. 20 मई की रात टीपीसी के उग्रवादियों की हत्या की घटना ठीक वैसी ही है, जिस तरह पिछले माह पलामू के मोहम्मदगंज में भाकपा माओवादी के तीन नक्सलियों को नींद में ही गोली मार दी गयी थी.
इन घटनाओं से टीपीसी संगठन को बड़ा झटका लगा है. यही कारण है कि टीपीसी ने 23 मई को जारी बयान में बदले की कार्रवाई की चेतावनी दी है. इस घटना ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है. सुरक्षा एजेंसी से जुड़े अधिकारियों का मानना है कि चतरा में खूनी संघर्ष बढ़ने की आशंका बढ़ गयी है. पांच-सात साल पहले जैसी स्थिति बन सकती है, जब भाकपा माओवादी से अलग होकर टीपीसी संगठन बना था. टीपीसी के उग्रवादियों ने लगातार कई घटनाओं को अंजाम देकर माओवादियों को चतरा छोड़ने पर मजबूर कर दिया था. भाकपा माओवादी के नक्सलियों ने एक बार फिर से चतरा जिले में अपनी गतिविधि बढ़ा दी है. नक्सलियों की योजना टंडवा-पिपरवार इलाके के कोयला कंपनियों में काम कर रहे ट्रांसपोर्टरों से प्रति माह वसूले जानेवाले आठ करोड़ से अधिक रुपये पर है. अभी वसूली की पूरी राशि टीपीसी के उग्रवादियों को मिलती है.