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पांच घाटों का एक ठेकेदार, मोटी कमाई बना हिंसा का कारण

गढ़वा: विशुनपुरा प्रखंड के पीपरी गांव के पास बांकी नदी से बालू उठाव को लेकर माफियाओं का अधिक से अधिक बालू का उठाव करना शुक्रवार को हिंसक झड़प का कारण बना़ विदित हो कि बांकी नदी का पीपरी घाट के लिए संवेदक ज्यादा लालायित रहते हैं. इसका महत्व इस बात से लगाया जा सकता है […]

गढ़वा: विशुनपुरा प्रखंड के पीपरी गांव के पास बांकी नदी से बालू उठाव को लेकर माफियाओं का अधिक से अधिक बालू का उठाव करना शुक्रवार को हिंसक झड़प का कारण बना़ विदित हो कि बांकी नदी का पीपरी घाट के लिए संवेदक ज्यादा लालायित रहते हैं. इसका महत्व इस बात से लगाया जा सकता है कि बालू की निविदा इस वर्ष 59 लाख रुपये में हुई थी़.

वर्तमान में विशुनपुरा प्रखंड में पड़नेवाले बांकी नदी के पांचों बालू घाटों की निविदा मेदिनीनगर के सुदना निवासी धर्मवीर सिंह (वर्तमान में छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर) ने ली थी़ इन बालू घाटों में पीपरी के अलावा सरांग, पतिहारी, अमहर व विशुनपुरा घाट शामिल है.

धर्मवीर सिंह के ठेका का सारा कारोबार पीपरी निवासी संजीत सिंह देखते थे़ निविदा के पश्चात अधिकांश बालू घाटों से बालू का उठाव किया जा चुका था़ लेकिन अधिक से अधिक कमाई करने के उद्देश्य से संवेदक उसी लाइसेंस पर निविदा वाले घाट के आसपास के अधिक से अधिक बालू का उठाव का प्रयास कर रहे थे़ चूंकि यहां की बालू की आपूर्ति आसपास के क्षेत्रों के बजाय अधिकांश उत्तर प्रदेश के बड़े शहरों में की जा रही थी़ उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर, वाराणसी, कानपुर जैसे शहरों में प्रति ट्रक 40 हजार से लेकर 80 हजार रुपये तक प्रति ट्रक बालू बेचे जाते थे़ महंगे बालू के कारण संवेदक के लोगों ने यहां से अधिक से अधिक बालू उठाने की जल्दी थी़.

इसके लिए प्रतिदिन इन घाटों से उत्तर प्रदेश के दर्जनों ट्रक ओवरलोड बालू लेकर जाते थे़ प्रशासन के सामने प्रतिदिन ओवरलोड बालू ट्रकों में भर कर उत्तर प्रदेश के लिए जा रहे हैं, लेकिन कभी भी प्रशासन द्वारा इसके खिलाफ कार्रवाई नहीं की गयी़ माफियाओं का हमेशा प्रयास रहा कि उनके बालू उठाव के खिलाफ गांवों में कहीं संगठित गिरोह न खड़ा हो जाये़ लेकिन पीपरी-जतपुरा घाट पर जब संवेदक द्वारा श्मशान घाट के पास से भी बालू उठाया जाने लगा, तो यह बात जतपुरा के लोगों को बरदाश्त नहीं हुआ़ वे लोग संवेदक के लोगों से श्मशान घाट से बालू उठाव का विरोध करने लगे़ लेकिन इनते बड़े पैमाने पर बालू के कारोबार को ग्रामीणों के विरोध के कारण संवेदक के लोग बंद नहीं करना चाहते थे़ इसी बात को लेकर ग्रामीणों के साथ उनकी झड़प हो गयी, जो बाद में हिंसक रूप ले लिया़

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