रांची: नामकुम के 70 हेक्टेयर खेतों में अब रबी और गरमा की भी फसल लहलहायेगी़ 70 में से लगभग 20 हेक्टेयर खेतों में रबी व गरमा की फसल की शुरुआत हो चुकी है़ खिजरी, कवाली, उलातु , सिदरौल, कुटियातु, मलटी, तेतरी, सहेरा, आरा, बड़ाम, बरगांवा, हरातु, महिलौंग, खरसीदाग, पलांडु ,गडके, चेने, रामपुर व अरमा में झारखंड सरकार ,भारत सरकार व गैरसरकारी संस्था केजीवीके के संयुक्त तत्वावधान में पंचवर्षीय समेकित जलछाजन परियोजना की शुरुआत की गयी है़. इस परियोजना के तहत नामकुम प्रखंड के उपरोक्त गांवों के 826़92 हेक्टेयर क्षेत्र में जलछाजन संबंधी कार्यो के अलावे आजीवीका, क्षमता विकास, पेयजल तथा स्वच्छता समेत कार्य किए जा रहे हैं. इस परियोजना के पहले वर्ष में 16 तालाब व पांच लो लैंड कुएं , डोभा, टांड़ भूमि की मेढ़बंदी समेत कई कार्य किये गये हैं, जिससे अबतक 70 हेक्टेयर खेतों में सिंचाई की व्यवस्था हो चुकी है़
ताजी मछलियों की उपलब्धता में होगी बढ़ोत्तरी
समेकित जलछाजन परियोजना, नामकुम के तहत बनाये गये तालाबों का लाभ ग्रामीण अपने आर्थिक विकास में सर्वोत्तम तरीके से कैसे ले सकें, इसे लेकर केजीवीके की ओर से कई कार्य किए जा रहे हैं़ तालाब के किनारे के दोन व टांड़ भूमि में बहुफसली प्रणाली से खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है.
साथ ही तालाबों के पानी का उपयोग मछली पालन व बत्तख पालन के लिए भी किया जा रहा है़ अबतक 20 नये तालाबों व आठ पुराने तालाब व डोभे में मछली के रेहू, कतला,व मृगल जैसी किस्मों के 52500 जीरों का वितरण किया गया है़. इसके अलावा 1400 बत्तख का वितरण किया गया है़ रामपुर के ग्रामीण दुगुना उरांव के तालाब के आसपास गरमा धान की खेती की जा रही है. यहां के कई ग्रामीण पहली बार श्री विधि से गरमा धान की खेती कर रहे हैं़ दुगुना उरांव तालाब के पानी का उपयोग टांड़ भूमि में सब्जियों की खेती व मछली पालन में भी कर रहे हैं.