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मोदी में दिखती है उम्मीद : साह

रांची: रमेश पी साह मैकेनिकल इंजीनियर हैं. करीब 40 वर्ष पूर्व काम खोजने अमेरिका गये और वहीं बस गये. साह शनिवार को एकल संगम कार्यक्रम में भाग लेने रांची आये थे. एनआरआइ साह का मानना है कि अभी भारत को एक चरित्रवान व बेहतर नेतृत्व की जरूरत है. मोदी में उन्हें उम्मीद दिखती है. दिल्ली […]

रांची: रमेश पी साह मैकेनिकल इंजीनियर हैं. करीब 40 वर्ष पूर्व काम खोजने अमेरिका गये और वहीं बस गये. साह शनिवार को एकल संगम कार्यक्रम में भाग लेने रांची आये थे. एनआरआइ साह का मानना है कि अभी भारत को एक चरित्रवान व बेहतर नेतृत्व की जरूरत है.

मोदी में उन्हें उम्मीद दिखती है. दिल्ली एयरपोर्ट से दूरभाष पर प्रभात खबर से बातचीत में साह ने कहा कि गत 15 वर्षो से लगातार भारत को देख रहा हूं. उत्तर से लेकर दक्षिण भारत तक के गांव बदहाल हैं. आजादी के 65 साल बाद भी ऐसी स्थिति बताती है कि हमारे नेताओं में विजन व नेतृत्व क्षमता की कमी है. वहीं मोदी में ये दोनों चीजें नजर आती हैं. गुजरात के गांवों में बिजली व सिंचाई के लिए पानी है.

सिर्फ कहने की बात नहीं. वहां का विकास सेटेलाइट (उपग्रह) से भी देखा जा सकता है. यह ठीक है कि हर प्रदेश गुजरात नहीं है. हर राज्य की समस्याएं भी अलग हैं. कुछ शंका है, लेकिन लगता है कि मोदी ने इन समस्याओं का समाधान खोज रखा है. दरअसल, मोदी अटल जी के सोच को ही आगे बढ़ा रहे हैं. गुजरात में नदियों को आपस में जोड़ने का कार्यक्रम एक ऐसा ही सोच है. केजरीवाल के बारे उन्होंने कहा कि वह बगैर होमवर्क के राजनीति में उतरे हैं. मोदी से पहले राजीव गांधी व अटल जी में भी उन्हें उम्मीद नजर आयी थी.

कौन हैं रमेश पी साह
रमेश एकल अभियान के वैश्विक समन्वयक (ग्लोबल को-ऑर्डिनेटर) हैं. वर्ष 1999 में वह अभियान से जुड़े और तब से हर माह भारत आते रहे. अभी दो वर्ष से वह साल में एक बार चार माह के लिए पत्नी के साथ भारत आते हैं. साह ने पूरा भारत देखा है. साह का सपना है भारत के गांव व शहरों से निरक्षरता मिटाना. एक लाख एकल विद्यालय की स्थापना करना. साह का नारा है : वन डॉलर, वन डे, वन स्कूल, वन विलेज. इनके जरिये अमेरिका में रहनेवाले भारतीय करोड़ों रुपये का चंदा अभियान के लिए देते हैं.

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