रांची: महिलाओं के खिलाफ हिंसा व उनकी तस्करी पर एसोसिएशन फॉर सोशल एंड हयूमन अवेयरनेस (आशा) व सेंटर फॉर वर्ल्ड सॉलिडेरिटी की ओर से होटल ली-लैक में कार्यशाला का आयोजन किया गया़. इसमें आशा के अजय कुमार ने बताया कि झारखंड में 1991 से 2012 अगस्त के बीच 1312 महिलाओं को डायन बता कर मार डाला गया है़.
1991 से 2000 मार्च के बीच हुई 522 हत्याएं : उन्होंने बताया कि पुलिस महानिरीक्षक की रिपोर्ट के अनुसार 1991 से 2000 मार्च तक 522 महिलाओं को डायन बता कर मार डाला गया़ रांची जिले में 124, चाईबासा में 109, गुमला में 89, लोहरदगा में 104, पलामू में 38, जमशेदपुर में 10, गढ़वा में 17, चतरा में एक, हजारीबाग में 15, गिरिडीह में चार व केाडरमा में आठ हत्याएं हुई थीं़
1991 से 2000 के बीच और 186 हत्याएं : उन्होंने बताया कि 1991 से 2000 के बीच सिमडेगा, देवघर, लातेहार, सराईकेला, जामताड़ा, खूंटी, रामगढ़, साहेबगंज, गोडडा, दुममा व पाकुड़ में 186 हत्याएं भी हुई थीं़ ये सरकारी आंकड़े में शामिल नहीं थ़े
2001 से 2012 के बीच 604 को मारा गया : 2001 से 2012 के बीच 604 हत्याएं हुई हैं़ इसमें रांची में 114, पश्चिमी सिंहभूम में 78, गुमला में 52, लोहरदगा में 28, पलामू में 23, पूर्वी सिंहभूम में 29, धनबाद में पांच, बोकारो में 16, गढ़वा में चार, हजारीबाग में 27, गिरिडीह में 14, कोडरमा में आठ, सराईकेला में 38, दुमका में 17, देवघर में 19, गोड्डा में 11, पाकुड़ में 10, साहेबगंज में 17, सिमडेगा में 58, चतरा में 13, लातेहार में 13, जामताड़ा में सात, खूंटी में छह और रामगढ़ में तीन, कुल 604 हत्याएं हुईं़
उन्होंने कहा कि शिक्षा व जागरूकता, आदिवासी महिलाओं को संपत्ति में हिस्सा, समुचित स्वास्थ्य सेवा, विज्ञान का प्रचार-प्रसार, डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम 2001 में संशोधन, ओझा, मति, गुणी पर कानूनी रोक और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देकर स्थिति में बदलाव लाया जा सकता है़ राष्ट्रीय स्तर पर नेशनल एंटी विचक्राफ्ट नेटवर्क बनाने की दिशा में प्रयास चल रहा है़ झारखंड में महिलाओं व बच्चों से जुड़े विषयों पर कार्यरत सभी गैर सरकारी स्वयंसेवी संस्थाओं को भी एक मंच पर लाने की जरूरत है़
मानव तस्करी, घरेलू हिंसा से जुड़े कानूनी प्रावधान बताये : अधिवक्ता रॉबिन प्रकाश पुतुश्री, अधिवक्ता अनिता लिंडा ने कानूनी डायन कुप्रथा, महिला तस्करी, घरेलू हिंसा से जुड़े कानूनी प्रावधान बताये. मुख्य अतिथि जेएसपीसीआर की अध्यक्ष रूपलक्ष्मी मुंडा ने कहा कि महिलाओं व बच्चों की स्थिति में सुधार के लिए गंभीर प्रयास जरूरी है.इस क्षेत्र में वे हर संभव मदद देंगी. दिया संस्थान के बैद्यनाथ ने झारखंड में ट्रैफिकिंग की स्थिति, सृजन फाउंडेशन की पूजा ने मानव तस्करी, पलायन व सुरक्षित पलायन और जुमाव मंच की देव्यानी वर्मा ने घरेलू हिंसा पर अपनी बात रखी.