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15 साल बाद फिर शिबू सोरेन-बाबूलाल मरांडी आमने-सामने

रांची: दुमका लोकसभा सीट से झाविमो ने बाबूलाल मरांडी को प्रत्याशी बनाया है. वहीं झामुमो ने शिबू सोरेन को प्रत्याशी बनाया है. करीब 15 वर्ष के बाद झारखंड दो दिग्गज आपस में भिड़ेंगे. यह संयोग ही है कि दोनों ही झारखंड के मुख्यमंत्री व केंद्र में मंत्री भी रह चुके हैं. यानी यह टकराव न […]

रांची: दुमका लोकसभा सीट से झाविमो ने बाबूलाल मरांडी को प्रत्याशी बनाया है. वहीं झामुमो ने शिबू सोरेन को प्रत्याशी बनाया है. करीब 15 वर्ष के बाद झारखंड दो दिग्गज आपस में भिड़ेंगे. यह संयोग ही है कि दोनों ही झारखंड के मुख्यमंत्री व केंद्र में मंत्री भी रह चुके हैं.

यानी यह टकराव न केवल दो पारंपरिक प्रतिद्वंद्वियों के बीच होगी, बल्कि राजनीति के दो शीर्ष व्यक्तियों की भी होगी. बाबूलाल जहां झाविमो के केंद्रीय अध्यक्ष हैं, वहीं शिबू सोरेन भी झामुमो के केंद्रीय अध्यक्ष हैं. दोनों ही अपने स्तर से अपनी स्थानीय पार्टी को संभाल रहे हैं. नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं. अंतर सिर्फ इतना है कि झामुमो 40 वर्ष पुरानी पार्टी है, तो झाविमो केवल आठ वर्ष पुरानी पार्टी है. 1973 में झामुमो का गठन हुआ था और 2006 में भाजपा से अलग होकर बाबूलाल मरांडी ने झाविमो बनाया था.

1998 में पहली बार बाबूलाल मरांडी को मिली थी सफलता
शिबू सोरेन पहली बार 1980 में दुमका से सांसद बने. 1984 में उन्हें कांग्रेस के पृथ्वीचंद किस्कू ने मात दी. 1989 में शिबू फिर जीते. फिर तो 1998 तक वह थमे नहीं. 1991 में पहली बार बाबूलाल मरांडी को दुमका से भाजपा ने टिकट दिया था. बाबूलाल को शिबू सोरेन ने हरा दिया. 1996 में बाबूलाल फिर शिबू से भिड़े. इस बार भी हार मिली.

1998 के चुनाव में बाबूलाल को पहली बार सफलता मिली. वह शिबू सोरेन को हराने में सफल हुए, पर केंद्र में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार 13 माह में ही गिर गयी. 1999 के चुनाव में शिबू सोरेन की जगह उनकी पत्नी रूपी सोरेन किस्कू खड़ी हुईं. बाबूलाल ने इस चुनाव में भी जीत दर्ज की. बाबूलाल को केंद्र में वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री बनाया गया. 15 नवंबर 2000 को झारखंड अलग हुआ. बाबूलाल मरांडी झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बने. बाबूलाल मरांडी ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. तकनीकी वजहों से विलंब के कारण मई 2002 में दुमका में उप चुनाव हुआ. शिबू सोरेन ने भाजपा के रमेश हेंब्रम को हराया. इसके बाद से वर्ष 2009 तक शिबू सोरेन का रथ रुका नहीं है.

2006 में बाबूलाल ने झाविमो बनाया
वर्ष 2006 में बाबूलाल मरांडी ने भाजपा छोड़ कर अपनी अलग पार्टी झारखंड विकास मोरचा बनायी. हालांकि, 1999 के बाद बाबूलाल मरांडी ने लोकसभा चुनाव कोडरमा सीट से ही लड़ा. उनका टकराव फिर शिबू सोरेन के साथ नहीं हो सका. अब लंबे अंतराल के बाद वह दुमका में शिबू सोरेन के साथ भिड़ेंगे. राजनीतिक विेषक इस चुनाव को रोचक मान रहे हैं. कारण है कि दोनों का झारखंड का दिग्गज होना और एक-दूसरे का घोर राजनीतिक विरोधी होना.

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