रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि सरकार का पर कोई वैधानिक संकट नहीं है. विधायकों के पार्टी छोड़ने पर उन्होंने कहा : चुनाव के समय ऐसा होता ही है. झामुमो के साथ जब भी ऐसा हुआ है और मजबूत होकर उभरा है. साइमन मरांडी ने जो भी आरोप लगाये हैं, उन्होंने कभी मुझसे इस मुद्दे पर बात नहीं की. साइमन पर पार्टी अपने स्तर से : कार्रवाई करेगी. श्री सोरेन गुरुवार को अपने आवास में पत्रकारों से बात कर रहे थे. सीएम ने कहा कि अभी उनके पास बहुमत का आंकड़ा है. अखबारों में यह बात आ रही है कि सरकार पर संकट है. पर जब तक विधायक इस्तीफा नहीं दे देते, कौन किधर जायेगा, यह सब स्पष्ट नहीं हो जाता, तब तक सरकार पर कोई संकट नहीं है. राज्यपाल क्या रुख अपनाते हैं, यह भी देखना होगा. रही बात सरकार के बहुमत की, तो जब फ्लोर पर जाने की नौबत आयेगी, तब देखा जायेगा. बहुमत जुटाने की बात होगी, तब बहुमत साबित कर देंगे.
पार्टी करेगी साइमन पर कार्रवाई : मंत्री साइमन मरांडी आरोपों पर मुख्यमंत्री ने कहा : यह सरकार का आंतरिक मामला है, इसे मीडिया में नहीं ले जाना चाहिए था. पार्टी के अंदर ही यदि वह बात रखते, तो ज्यादा फलदायक साबित होता. प्रेस कांफ्रेंस से न सरकार चलती है और न ही पार्टी. हम श्री मरांडी से आग्रह करते हैं कि जो भी बात है, सीधे मुझसे कहें. मुख्यमंत्री ने कहा : साइमन ने इससे पहले कभी सलाहकार के मुद्दे पर बात नहीं की. उन्हें बताना चाहिए कि कौन सा गड़बड़ काम उनसे करवाया गया. उन्होंने कहा कि मंत्री ददई दुबे पर कांग्रेस ने कार्रवाई की थी. कांग्रेस के निर्देश को उन्होंने माना था. साइमन के मुद्दे पर भी पार्टी कार्रवाई करेगी. पार्टी के निर्देश वह मानेंगे. किसी एक व्यक्ति से पार्टी नहीं चलती. समूह से चलती है.
दूसरा दल प्रत्याशी कैसे तय करेगा : राजमहल सीट को लेकर कांग्रेस की नाराजगी के मुद्दे पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि प्रत्याशी किसे बनायेंगे, यह कोई भी पार्टी खुद तय करती है. इस संबंध में कोई दूसरा दल कैसे तय करेगा. अगले विधानसभा चुनाव तक गंठबंधन के संबंध में उन्होंने कहा कि राजनीतिक भविष्यवाणी नहीं की जा सकती. पर वह प्रयास करेंगे कि आगे भी संबंध बेहतर रहे.
झामुमो की पाठशाला से ही निकले हैं नेता
पुराने नेता के झामुमो छोड़ने पर पार्टी पर क्या असर पड़ेगा, इस पर हेमंत ने कहा : झामुमो नेता द्वारा ही दूसरी पार्टियों की राजनीति चलती है. यहीं से कई नेता निकले हैं, जो आज भाजपा, झाविमो व आजसू को नेतृत्व दे रहे हैं. झामुमो एक राजनीतिक पाठशाला भी है. अपनी महत्वाकांक्षा के लिए लोग झामुमो छोड़ते हैं. मुङो नहीं लगता कि कोई झामुमो का बाल भी बांका कर सकता है.