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पहल: अगले सप्ताह सात नक्सली करेंगे विधिवत रूप से सरेंडर, 15 साल पहले नक्सली नकुल हुआ था गिरफ्तार, निकला था जमानत पर
रांची: पुलिस के समक्ष सरेंडर करनेवाले भाकपा माओवादी के नक्सली नकुल यादव को पुलिस अगले हफ्ते सामने लायेगी. उसके साथ अन्य छह नक्सली भी सरेंडर करेंगे. कोयलशंख जोन में जिस नकुल यादव ने पिछले चार-पांच सालों से पुलिस के लिए सबसे बड़ी समस्या खड़ी कर दी थी, वह वर्ष 2002 में भी पुलिस की गिरफ्त […]
रांची: पुलिस के समक्ष सरेंडर करनेवाले भाकपा माओवादी के नक्सली नकुल यादव को पुलिस अगले हफ्ते सामने लायेगी. उसके साथ अन्य छह नक्सली भी सरेंडर करेंगे. कोयलशंख जोन में जिस नकुल यादव ने पिछले चार-पांच सालों से पुलिस के लिए सबसे बड़ी समस्या खड़ी कर दी थी, वह वर्ष 2002 में भी पुलिस की गिरफ्त में आया था. खलारी थाना क्षेत्र से रांची पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था. पुलिस उसे लंबे समय जेल में नहीं रख सकी. वह जमानत पर छूट गया और दुबारा संगठन में शामिल हो गया था. नकुल यादव की तरह ही जिस अरविंद जी को पकड़ने के लिए पुलिस कई बड़ा अभियान चला चुकी है.
वह अभी बूढ़ा पहाड़ पर बड़ा अभियान चला रहा है. वह भी वर्ष 1993 में और 2003 में गिरफ्तार हुआ था. दोनों बार जमानत पर छूट गया. अभी अरविंद जी पर झारखंड सरकार ने एक करोड़ रुपये इनाम की घोषणा कर रखी है. नकुल व अरविंद जी की तरह ही मिसिर बेसरा को वर्ष 2007 में, मोतीलाल सोरेन को वर्ष 2009 में, मृत्युंजय भुइंया को वर्ष 2005 में, शहदेव सोरेन उर्फ परवेश को वर्ष 2012 में और मिथिलेश महतो को वर्ष 2004 में पुलिस ने गिरफ्तार किया था. पुलिस इन नक्सलियों को ज्यादा दिन तक जेल में नहीं रख सकी. सजा नहीं दिला सकी और सभी जमानत पर निकल गये. हालांकि मिसिर बेसरा और शहदेव सोरेन पुलिस हिरासत से भाग निकला और दुबारा संगठन में शामिल हो गया.
गुमला व लोहरदगा में था पिछले एक साल से सक्रिय : पुलिस के एक सूत्र ने बताया है कि अगले हफ्ते नकुल व मदन यादव समेत सात नक्सलियों को सरेंडर कराया जायेगा. सभी नकुल दस्ते का नक्सली है. नकुल यादव करीब एक साल से खुफिया एजेंसियों के संपर्क में था. इसकी जानकारी संगठन के लोगों को भी थी. गुमला व लोहरदगा के इलाके में नकुल यादव पिछले एक साल से स्वतंत्र तरीके से काम कर रहा था.
छह-सात को दिया जा सकता है नियुक्ति पत्र : नकुल के दस्ते के साथ संगठन छोड़ कर आये या भाग कर आये छह-सात युवक भी पुलिस के पास हैं. सभी जब नाबालिग थे, तब नकुल यादव ने उन्हें अपने दस्ते में शामिल कर लिया था. वे दस्ता के साथ रहने को विवश थे. ऐसे युवकों को पुलिस भी पीड़ित मानती है. इसलिए उन्हें मानवता के आधार पर पुलिस विभाग में नियुक्ति पत्र दिया जा सकता है.
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