जमशेदपुर: पहले टाटा मोटर्स के एजीएम ब्रजेश सहाय की हत्या और फिर टाटा स्टील के मैनेजर रत्नेश राज पर फायरिंग की घटना ने जमशेदपुर के एक बार फिर ऑर्गेनाइज्ड क्राइम (संगठित अपराध) की ओर बढ़ने के संकेत दे दिये हैं.
पिछले चार महीने में टाटा स्टील और टाटा मोटर्स के तीन पदाधिकारियों (विपुल कुमार, ब्रजेश सहाय, रत्नेश राज) को कार पार्किग करने के ठीक पहले निशाना बनाया गया है. जब हमला किया गया तो पदाधिकारी खुद कार ड्राइव कर रहे थे और गाड़ी में अकेले थे. यानी पहले अपराधियों द्वारा रेकी की जा रही है और फिर ऐसे समय हमला किया जा रहा है, जब वे अकेले होते हैं, गाड़ी धीमी होती है और बच निकलने की कोई संभावना नहीं होती.
घटना का समय भी लगभग एक जैसा रहा यानी रात आठ से 10 बजे के बीच. पिछले दो हमलों में अपराधियों को सुनसान इलाकों का भी फायदा मिला. तीनों केस में पुलिस कुछ भी सुराग नहीं ढूंढ़ पायी है. ना ही हमले के कारण स्पष्ट हो पा रहे हैं. पुलिस पदाधिकारी भी यह मान रहे हैं कि ब्रजेश की हत्या और रत्नेश पर फायरिंग की घटना एक ही आपराधिक गिरोह द्वारा अंजाम दिये जाने की आशंका है. शहर खासकर कॉरपोरेट से जुड़े लोग दहशत में हैं.
बाहरी गिरोह शहर में सक्रिय : सूत्रों के मुताबिक ऑर्गेनाइज क्राइम गिरोह के सदस्यों के पास 7.65 बोर की पिस्टल है. गिरोह का तालुकात मुंगेर के अपराधियों से है. मुंगेर से काफी संख्या में हथियार भी शहर मंगवाये जा रहे हैं. विदित हो कि पूर्व एसएसपी ने मुंगेर से हथियार शहर लाने के आरोप में डब्ल्यू मिश्र तथा मनीष कुमार को गिरफ्तार किया था. पुलिस ने 6 पिस्टल समेत 87 कारतूस बरामद की थी.
राजनीतिक संरक्षण में फल-फूल रहे हैं अपराधी
शहर में अधिकतर अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है. राजनीतिक संरक्षण मिलने के कारण गैंग के शूटर खुलेआम राजनेताओं के साथ घुमते हैं. राजनेताओं का हाथ होने की वजह से पुलिस अपराधियों पर हाथ डालने की हिम्मत नहीं जुटा पाती. अपराधी तक पहुंचने से पहले ही पुलिस पर राजनीतिक दबाव बनना शुरू हो जाता है. अभी हाल ही में जेल में बंद एक बड़े अपराधी को राजनीतिक संरक्षण मिल जाने के कारण उसके गुर्गे खुलेआम रैलियों, सभाओं और पब्लिक फोरम में नजर आने लगे. चार माह पहले ही खड़गपुर पुलिस ने आजसू नेता बंटी अग्रवाल को कंटेनर रोकवा कर गाड़ी लूट के मामले में रंगेहाथ गिरफ्तार कर जेल भेजा है. इससे पूर्व भी शहर में लूट-हत्या के कई मामलों में बंटी को पुलिस ने हिरासत में लेकर पूछताछ की, लेकिन राजनीतिक दबाव के कारण उसे छुड़ा लिया गया था.
इन मामलों में पुलिस रही खाली हाथ
– 23 नवंबर 2013 को बिष्टुपुर यूसी के बाहर टाटा स्टील अर्बन सर्विसेस के पदाधिकारी विपुल कुमार पर फायरिंग
– 10 दिसंबर 2013 को टाटा मोटर्स अस्पताल गेट के पास जादूगोड़ा के व्यापारी मुक्तिपदो कच्छप को गोली मारी
– 21 दिसंबर 2014 सिदगोड़ा अरोग्यम अस्पताल के पास सेंट्रो कार पर सवार लखन कुमार सिंह को चार गोली मारी
– 22 फरवरी 2014 को टाटा मोटर्स के एजीएम ब्रजेश सहाय की हत्या
इस तरह हो रहे हमले
गाड़ी पार्क करने के दौरान पदाधिकारी बन रहे निशाना
रात आठ से दस बजे का समय चुना जा रहा
हमला उस समय जिस समय पदाधिकारी कार में अकेले हों
रेकी कर सुनसान इलाकों में बाइक सवार कर रहे हमले