रांची: राज्य में अवैध तरीके से पत्थर उत्खनन करनेवालों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति करनेवाले अधिकारियों की अब खैर नहीं है. वैसे जिला खनन पदाधिकारियों (डीएमओ) व सहायक खनन पदाधिकारियों (एएमओ) को अविलंब निलंबित करने का आदेश दिया गया है. गुरुवार को झारखंड हाइकोर्ट ने स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य के मुख्य सचिव को उक्त निर्देश दिया.
कोर्ट ने कहा कि लोगों को जो दिखता है, वह अधिकारी भी देखते है, लेकिन वे कोई कार्रवाई नहीं करते हैं. अधिकारियों की फ्रेंडशिप अब नहीं चलेगी. फ्रेंडशिप करना तुरंत बंद कर दें. मामले की अगली सुनवाई के पूर्व संबंधित अधिकारियों को निलंबित किया जाये, जिन्होंने कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति का काम किया है. जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए अधिकारियों के रवैये पर कड़ी नाराजगी जतायी. खंडपीठ ने माइनिंग कमिश्नर के शपथ पत्र का अवलोकन करने के बाद माैखिक रूप से कहा कि खनन अधिकारियों ने जो कार्रवाई की है, उसमें न तो कोई वाहन अथवा मशीनरी ही जब्त दिखायी गयी है आैर न ही कोई रॉयल्टी का असेस्मेंट ही किया गया है. शपथ पत्र देखने से स्पष्ट हो जाता है कि अधिकारियों ने अपनी जिम्मेवारी नहीं निभायी है.
कोई कार्रवाई नहीं की है. ऐसा प्रतीत होता है कि यह अवैध कारोबार अधिकारियों के संरक्षण में चल रहा है. खंडपीठ ने राज्य सरकार को अवैध माइनिंग व पत्थर उत्खनन करनेवालों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. प्रार्थी को निर्देश दिया कि वह चाहें तो अवैध माइनिंग का जो फोटोग्राफ्स कोर्ट में प्रस्तुत किये जा रहे हैं, यदि उससे संबंधित कोई सीडी अथवा वीडियो हो, तो उसे भी कोर्ट के सामने ला सकते हैं. भरी अदालत में उसे दिखाया जायेगा. खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए एक मई की तिथि निर्धारित की. पूर्व में माइनिंग कमिश्नर ने शपथ पत्र दाखिल कर बताया था कि वर्ष 2014 में अवैध क्रशरों के खिलाफ कार्रवाई की गयी. इसमें 189 प्राथमिकी दर्ज की गयी. वर्ष 2015-2016 में 265 प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. कार्रवाई के दाैरान जब्ती व रॉयल्टी शून्य रही.
सुनवाई के दाैरान एमीकस क्यूरी अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा व अधिवक्ता हेमंत कुमार सिकरवार ने खंडपीठ को बताया कि प्रशासन कार्रवाई करता है. अवैध क्रशर को तोड़ा जाता है. अगले दिन अवैध कार्य दोबारा शुरू हो जाता है. डेढ़-दो किमी की दूरी पर थाना भी है. वाहन व मशीन चलते हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जाती है. यह भी दावा किया गया कि हजारीबाग में अब कोई अवैध क्रशर नहीं चल रहा है. पहाड़ों से पत्थर काटने से पर्यावरण पर विपरीत असर पड़ रहा है. उल्लेखनीय है कि पहाड़ों के गायब होने से संबंधित प्रभात खबर में प्रकाशित खबर को हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था. वहीं, हेमंत सिकरवार ने हजारीबाग में अवैध माइनिंग व पत्थर उत्खनन से हो रहे प्रदूषण को रोकने की मांग की है. दोनों याचिकाअों पर साथ-साथ सुनवाई हो रही है.