– जितेंद्र सिंह –
– बेटी के इलाज के लिए बेचैन है आदिम जनजाति का मोहन कोरवा
– 14 वर्षीय आदिम जनजाति की परवंती का गरीबी बना अभिशाप
– गंभीर बीमारी से पीड़ित है परवंती चल-फिर नहीं सकती
– पिता गरीब-लाचार है. बेटी के इलाज के लिए पैसे नहीं हैं
– चिकित्सक बाहर जाने की सलाह दी है
गढ़वा : जिले के डंडई प्रखंड के चकरी गांव निवासी आदिम जनजाति मोहन कोरवा के लिए उसकी 14 वर्षीय पुत्री अभिशाप बन गयी है. गरीबी के कारण इलाज कराने में अक्षम मोहन कोरवा की 14 वर्षीय पुत्री परवंती कुमारी गंभीर बीमारी से ग्रसित है. शारीरिक रूप से वह अब भी तीन वर्ष की ही है. परवंती सामान्य बच्चों से अलग है. चल-फिर नहीं सकती. 14 की उम्र होने के बावजूद उसके नित्य क्रिया से लेकर खिलाने-पिलाने तक का काम मोहन कोरवा को करना पड़ता है.
मोहन कोरवा ने कहा कि वह काफी गरीब है. किसी तरह परिवार का जीवन यापन हो रहा है. ऐसे में उसकी बेटी की बीमारी का इलाज उसके बस की बात नहीं है. सरकारी अस्पतालों में दिखाया, लेकिन चिकित्सकों ने उसे बाहर ले जाने की सलाह दी. अब उसके पास खाने-पीने के पैसे नहीं हैं, तो वह अपनी बेटी को कहां ले जाये. मोहन भगवान की मरजी मान कर परवंती की देखभाल कर रहे हैं.
इलाज करायेंगे : विजय
जायंट्स इंटरनेशनल स्पेशल कमेटी के सदस्य सह समाजसेवी विजय कुमार केशरी ने कहा कि वे परवंती के इलाज के लिए रांची के चिकित्सकों से मिल कर परामर्श लेंगे. साथ ही उपायुक्त से मिलकर सहयोग कराने का प्रयास करेंगे.