रांची: राष्ट्रीय सूक्ष्म सिंचाई मिशन में घोटाले का रुख मोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. मामले में अफसर व कंपनी या आपूर्तिकर्ता न फंसे, इसके लिए मामले को भटकाया जा रहा है. गड़बड़ी के लिए अब पंचायत प्रतिनिधियों को भी दोषी ठहराया जा रहा है. यही वजह है कि रीजनल नोडल अफसर ने संबंधित मुखिया को दोषी माना है.
साथ ही उनके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा भी कर डाली है. नोडल पदाधिकारी का मानना है कि जहां-जहां गड़बड़ी हुई है, वहां के मुखिया भी इन गड़बड़ियों में शामिल रहे हैं. तभी घोटाला हुआ है.
पंचायत प्रतिनिधियों की नहीं ली राय: इधर, ठगे गये सारे किसानों ने यही कहा है कि उनके पास पंचायत प्रतिनिधि नहीं आये थे. न ही लाभुक के रूप में उनका चयन पंचायत प्रतिनिधियों के सामने हुआ था. आपूर्तिकर्ता व दलाल ही उनके घर आये थे. इसकी जानकारी भी मुखिया को नहीं दी गयी थी. पंचायत प्रतिनिधियों को शामिल किया जाता, तो घोटाला नहीं होता. लाभुकों को अंधकार में रख कर कोई भी नहीं ठग सकता.
ग्राम सभा में करना था लाभुकों का चयन : इस मिशन के तहत लाभुकों का चयन ग्राम सभा में करना था. ग्राम सभा से लाभुकों का चयन होता, तो यह स्पष्ट हो जाता कि व्यक्ति किसान है या नहीं. जिसे लाभुक बनाया जा रहा है, उसके पास जमीन है या नहीं. लाभुक चयन में इतनी बड़ी गड़बड़ी नहीं होती और न ही घोटालेबाज लाभुकों के पटवन उपकरण हड़प सकते, पर कहीं भी ग्राम सभा को शामिल नहीं किया गया. बुढ़मू, पतरातू, गुमला, सिमडेगा, लोहरदगा में सीधे आपूर्तिकर्ता दलालों के माध्यम से किसानों के घर पहुंचे और उन्हें लाभुक बनाया.
क्यों करना था ग्राम सभा से चयन
पंचायत प्रतिनिधि को यह मालूम होता है कि किसे पटवन उपकरण चाहिए
लाभुक बनने के लिए तय अर्हता कौन पूरा करते हैं
किस किसान के पास कितनी जमीन है, इसका ब्योरा पंचायत प्रतिनिधियों के पास रहता है
व्यक्ति किसान है या नहीं, इसकी पुष्टि भी पंचायत सदस्य ही कर सकते हैं
लाभुक चयन में एक ही परिवार के दो सदस्य (बाप-बेटे) को न मिले, यह भी देखना था