जिसके बाद पुलिस ने इस पर काम करना शुरू कर दिया है. पुलिस की ओर से पिछले कुछ दिनों से रेडियो के कार्यक्रमों पर नजर रखी जा रही है. खासकर स्थानीय भाषा के कार्यक्रमों पर. पुलिस खुफिया तौर पर यहां काम करनेवाले कमचारियों, उनके सगे संबंधियों व मिलने-जुलनेवाले लोगों पर भी नजर रख रही है. साथ ही उनके कॉल डिटेल को खंगाल रही है.
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रेडियो केंद्र से कोड वर्ड के जरिये माओवादियों तक पहुंच रही सूचना
रांची/चाईबासा : चाईबासा में संचालित एक रेडियो केंद्र से कोड वर्ड के जरिये सारंडा के सदूरवर्ती जंगलों में मौजूद भाकपा माओवादियों के दस्ते को सूचनाएं पहुंचायी जा रही हैं. लोकेशन ट्रेस से बचने के लिए माओवादी फिर से सूचना आदान-प्रदान करने की पुरानी तकनीक अपना रहे हैं. पिछले दिनों पुलिस के समक्ष सरेंडर करनेवाले शीर्ष […]
रांची/चाईबासा : चाईबासा में संचालित एक रेडियो केंद्र से कोड वर्ड के जरिये सारंडा के सदूरवर्ती जंगलों में मौजूद भाकपा माओवादियों के दस्ते को सूचनाएं पहुंचायी जा रही हैं. लोकेशन ट्रेस से बचने के लिए माओवादी फिर से सूचना आदान-प्रदान करने की पुरानी तकनीक अपना रहे हैं. पिछले दिनों पुलिस के समक्ष सरेंडर करनेवाले शीर्ष माओवादी जुनास कांडुलना ने इसका खुलासा किया है.
नक्सली समर्थक के आरोप में पहले भी पकड़े गये हैं कई लोग : इस रेडियो केंद्र के कई कर्मचारी व उदघोषक माओवादियों के समर्थक होने के आरोप में एक दशक पहले गिरफ्तार होकर जेल जा चुके हैं. सूत्रों के मुताबिक सारंडा में माओवादियों के आने के बाद से ही चाईबासा का यह रेडियो केंद्र चर्चा में आ गया था. एक समय में यहां से माओवादियों के कार्यों का संचालन किया जाता था.
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