उनका यह व्यवहार एक अयोग्य पुलिस पदाधिकारी होने का परिचायक है. डीएसपी ने रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि उन्हें विभागीय जांच के दौरान पता चला कि तत्कालीन सिटी डीएसपी सुदर्शन कुमार आस्तिक ने पूर्व में मामले की जांच की थी. उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट में लिखा था कि दारोगा बलबीर सिंह द्वारा बाइक थाना में लाने के बाद इसकी सूचना थाना प्रभारी या थाना के मुंशी तक को नहीं दी गयी थी. बाद में बाइक को लालपुर थाना के तत्कालीन जमादार सुरेश ठाकुर द्वारा जिम्मेनामा पर ज्यां द्रेज को सौंपा गया था.
ज्यां द्रेज ने बाइक छोड़ने के लिए रिश्वत मांगने का भी आरोप लगाया था, लेकिन इससे संबंधित ठोस साक्ष्य नहीं मिले. उल्लेखनीय है कि ज्यां द्रेज ने मामले में पुलिस पर बाइक छोड़ने के लिए रिश्वत मांगने और गलत व्यवहार करने का आरोप लगाया था. जिसकी वजह से दरोगा बलबीर सिंह को निलंबित कर दिया गया था. पुलिस की आरंभिक जांच में भी उनके खिलाफ रिश्वत मांगने का आरोप सही नहीं पाया गया था. तब मामले में कार्रवाई के लिए दारोगा के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गयी थी. विभागीय जांच की जिम्मेवारी सदर डीएसपी विकास चंद्र श्रीवास्तव को सौंपी गयी थी.