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कंपनी को जमीन देने के बजाय मरना पसंद करेंगे आदिवासी : डॉ करमा उरांव

रांची:मोमेंटम झारखंड, ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट न सिर्फ आदिवासियों व मूलवासियों के नैसर्गिक निवास स्थान पर हमला है, बल्कि यह पूरे झारखंड को बरबाद भी करनेवाला है़ यह बातें झारखंड आदिवासी संघर्ष मोरचा ने मुख्य संयोजक डॉ करमा उरांव, पूर्व विधायक देवकुमार धान व प्रेमशाही मुंडा ने कही. वे शनिवार को होटल गंगा आश्रम में पत्रकारों […]

रांची:मोमेंटम झारखंड, ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट न सिर्फ आदिवासियों व मूलवासियों के नैसर्गिक निवास स्थान पर हमला है, बल्कि यह पूरे झारखंड को बरबाद भी करनेवाला है़ यह बातें झारखंड आदिवासी संघर्ष मोरचा ने मुख्य संयोजक डॉ करमा उरांव, पूर्व विधायक देवकुमार धान व प्रेमशाही मुंडा ने कही. वे शनिवार को होटल गंगा आश्रम में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे़ उन्होंने कहा कि राज्य के आदिवासी किसी औद्योगिक घरानों को एक ईंच अपनी जमीन देने के बदले मर जाना पसंद करेगा़.

उन्होंने कहा कि सीएनटी व एसपीटी एक्ट संशोधन विधेयक के माध्यम से आदिवासियों व मूलवासियों की बेशकीमती कृषि योग्य जमीन को गैर कृषि जमीन के रूप में बदला जा रहा है़ इस जमीन को देशी-विदेशी औद्योगिक कंपनियों को देने के लिए मुख्यमंत्री रघुवर दास की सरकार बिचौलिये की भूमिका में है़ं यह आदिवासियों और मूलवासियों के खिलाफ एक अमानवीय कदम है़ आम जनता की गाढ़ी कमायी की सौ करोड़ से अधिक राशि समिट पर खर्च की जा रही है़ कोयलकारो व कई अन्य परियोजनाएं ठप है़ं एेसे में नये पूंजीनिवेशकों की परियोजनाओं का क्या होगा? सरकार इस भ्रम में न रहे कि वह आदिवासियों की जमीन आसानी से उद्योगपतियों को दे देगी़
महाधरना अब 14 फरवरी को
प्रेमशाही मुंडा ने बताया कि 16 फरवरी को राजभवन के समक्ष आहूत महाधरना अब 14 फरवरी को मोरहाबादी मैदान में महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष सुबह 11 बजे से होगा़ 15 फरवरी को राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में व विभिन्न क्षेत्रों में सीएम का पुतला फूंका जायेगा़

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