रांची/चाईबासा : माओवादी संगठन के पोलित ब्यूरो सदस्य किशन दा उर्फ प्रशांत बोस का लगभग 70 वर्ष की उम्र में गुरुवार को निधन होने की खबर है. वह एक करोड़ के इनामी नक्सली नेता थे. शनिवार को यह खबर सामने आने के बाद पुलिस महकमा सतर्क हो गया है.
हालांकि देर शाम तक उनके निधन की पुष्टि नहीं हो सकी. चाईबासा के एसपी अनिस गुप्ता ने बताया कि सूचना उन्हें भी मिली है, लेकिन प्रयास के बाद भी इसकी पुष्टि नहीं हो पायी है. जो जानकारी सामने आयी है, उसके मुताबिक किसन दा की स्वाभाविक मौत हुई है. अंतिम समय में उनके सारंडा के जंगलों में होने की खबर थी. निधन के बाद माओवादी साथियों द्वारा उन्हें सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किये जाने की तैयारी की जा रही है.
पुलिस सूत्रों ने बताया कि किसन दा की मौत की खबर कहां से आयी है, यह साफ नहीं हो पाया है. यह भी साफ नहीं है कि किसन दा इन दिनों सारंडा के जंगलों में थे. हालांकि बरसात के समय ओड़िशा के सुंदरगढ़ जिला अंतर्गत गुरुंडिया थाने के जंगलों में उनकी पार्टी के साथ पुलिस की दो दफा मुठभेड़ हुई थी. ओड़िशा पुलिस ने झारखंड पुलिस को सूचना दी थी कि किशन दा का दस्ता ब्राह्मणी नदी पार कर झारखंड आ सकता है. उस समय झारखंड पुलिस ने किसन दा को पकड़ने के लिए ओड़िशा से सटे सारंडा के जंगलों में 15 दिनों तक कैंप भी किया था.
मूल रूप से पश्चिम बंगाल के थे निवासी
मनीष दा उर्फ प्रशांत बोस किशन दा का वास्तविक नाम है. वह निर्भय उर्फ काजल उर्फ महेश के रूप में भी जाने जाते थे. किशन दा मूल रूप से पश्चिम बंगाल के रहनेवाले थे. संगठन के पोलित ब्यूरो सदस्य के साथ-साथ वह पार्टी के उपमहासचिव भी थे. वह ईआरबी और बीजेसेक के सचिव भी थे. उनका रंग गोरा है, पतले दुबले शरीर वाले किशन दा चेहरे पर फ्रेंच कट सफेद दाढ़ी रखते थे. वह मोटे फ्रेम का चश्मा पहनते थे. चोट के कारण उनका जबड़ा टेढ़ा था और वह नकली दांत लगाते थे.
झारखंड सरकार ने रखा था एक करोड़ का इनाम
पोलिस ब्यूरो सदस्य होने के कारण किशन दा पर कई राज्यों ने इनाम रखा था. झारखंड सरकार ने उन पर एक करोड़ रुपये, ओड़िशा सरकार ने 30 लाख, आंध्र प्रदेश की सरकार ने 15 लाख, छत्तीसगढ़ की सरकार ने सात लाख व महाराष्ट्र सरकार ने 30 हजार इनाम घोषित कर रखा था. किसन दा हमेशा भारी सुरक्षा में रहा करते थे. 9 एमएम की पिस्टल रखने वाले किसन दास की सुरक्षा तीन हथियारबंद अंगरक्षक करते थे.