रांची: हाइकोर्ट में शुक्रवार को जेलों में लंबे समय से आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदियों को रिहा करने को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस आर भानुमति व जस्टिस एस चंद्रशेखर की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद की बैठक में लिये गये निर्णयों को तुरंत क्रियान्वित करने का निर्देश दिया. कहा: जिन 53 कैदियों को रिहा करने का निर्णय लिया गया है, उन्हें शीघ्र रिहा किया जाये. 52 कैदियों के मामले खारिज किये गये है, उन्हें संबंधित आदेश की प्रति उपलब्ध करायी जाये. लंबित मामलों का भी तेजी से निष्पादन किया जाये.
खंडपीठ ने सरकार को शपथ पत्र के माध्यम से स्टेट्स रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 मार्च की तिथि निर्धारित की गयी. इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि सात फरवरी को राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद की बैठक हुई थी. इसमें 106 मामलों पर विचार किया गया. 53 कैदियों को रिहा करने का निर्णय लिया गया. 52 के मामले खारिज किये गये.
एक मामला लंबित है. शेष 46 लंबित मामलों में से 13 में संबंधित अदालत का मंतव्य मिल गया है. यह भी बताया गया कि विभिन्न जेलों में सजा काट रहे 62 कैदी है, जिनके मामले पर विचार किया जा सकता है. उल्लेखनीय है कि कैदियों की हड़ताल को गंभीरता से लेते हुए हाइकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले को जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.