28.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

ददई दुबे बोले राक्षस हैं हेमंत,जरूरत पड़ी तो पार्टी छोड़ दूंगा

मंत्रिमंडल से बरखास्त किये गये ददई दुबे बुधवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ जम कर बोले. मुख्यमंत्री पर गंभीर आरोप लगाये. ददई दुबे बुधवार को आला कमान से मिलने दिल्ली गये. दिल्ली जाने से पहले अपने आवास पर हेमंत सोरेन के खिलाफ भड़ास निकाली. श्री दुबे ने कहा : हेमंत सोरेन राक्षस हैं. झारखंड […]

मंत्रिमंडल से बरखास्त किये गये ददई दुबे बुधवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ जम कर बोले. मुख्यमंत्री पर गंभीर आरोप लगाये. ददई दुबे बुधवार को आला कमान से मिलने दिल्ली गये. दिल्ली जाने से पहले अपने आवास पर हेमंत सोरेन के खिलाफ भड़ास निकाली. श्री दुबे ने कहा : हेमंत सोरेन राक्षस हैं.

झारखंड के गरीबों का खून पी रहे हैं. लोहा, कोयला बेच दिया. गरीबों का बालू बेच दिया. बालू में 500 करोड़ का लेन-देन हुआ है. दारू भी बाहरी को बेचने जा रहे हैं. पूर्व मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री अवैध खनन कराते हैं. झारखंड को कंगाल बना दिया.

मैं आला कमान से मिलने जा रहा हूं, सारी बातों की जानकारी दूंगा. आला कमान ने मुङो कुछ नहीं कहा है. ददई ने कहा : आला कमान से मिलने के बाद जरूरत पड़ी, तो पार्टी भी छोड़ दूंगा. उन्होंने यह भी कहा कि लोकसभा का चुनाव लड़ूंगा, कांग्रेस से नहीं लड़ा, तो निर्दलीय भी लड़ूंगा. ददई दुबे प्रभारी बीके हरि प्रसाद पर भी गरमाये. उन्होंने कहा : प्रभारी को नहीं जानता. प्रभारी ने झारखंड में पार्टी को बरबाद कर दिया है. प्रभात खबर के ब्यूरो प्रमुख आनंद मोहन ने ददई दुबे से तमाम मुद्दों पर बातचीत की. पेश है उनके साथ बातचीत के अंश.

मुख्यमंत्री ने क्यों बरखास्त किया
हेमंत सोरेन की उलटी गिनती शुरू हो गयी है. आला कमान कहे, तो इस सरकार को गिरा दूंगा. चैलेंज करता हूं कि मैं चाह लूं, तो इस सरकार को नहीं रहने दूंगा. मुङो आला कमान का कोई निर्देश नहीं आया था. मैंने खुद 11.45 बजे का समय राज्यपाल से लिया था. लेकिन हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री की ताकत दिखायी.

मैं आश्चर्यचकित हूं. बरखास्त किया, तो अच्छा किया है. आनेवाला वक्त बतायेगा. हेमंत सोरेन सरकार की उलटी गिनती शुरू हो गयी है. मैं चाहूं, तो सरकार गिरा दूंगा. आला कमान आदेश दे, तो करके दिखा दूंगा. मेरे साथ कई विधायक हैं. चाहूं तो राजभवन मार्च कर सकता हूं.

पार्टी आपके साथ नहीं है, समर्थन में विधायक नहीं बोल रहे मुख्यमंत्री के खिलाफ वही बोल सकता है, जिसके पास हिम्मत हो. ऐसा नहीं है कि मेरे साथ पार्टी नहीं है. अभी लोग चुप हैं. मुख्यमंत्री के खिलाफ बोलने का दम नहीं है. साहस नहीं दिखा पा रहे हैं. सब यही चाहता है कि सामने नहीं आयें. मुख्यमंत्री हैं, इसलिए कोई बोल नहीं रहा है. मैं सच बोलने से नहीं डरता हूं. मैं पूरे राज्य का दौरा करूंगा. राज्य में हो रही लूट को बताऊंगा.

आला कमान ने आपको निर्देश नहीं दिया, तो इस्तीफा देने क्यों जा रहे थे
आला कमान का कोई निर्देश नहीं आया था. सोनिया गांधी, राहुल गांधी और डॉ मनमोहन सिंह मेरे आला कमान हैं. इन लोगों ने मुझसे कुछ नहीं कहा था. मुङो कोई संदेश नहीं मिला था. पिछले दिनों जो हुआ था, उसी पर हम इस्तीफा देने जा रहे थे. मैंने राज्यपाल से समय मांगा था, मैं पद छोड़ना चाहता था.

प्रभारी से भी बात नहीं हुई थी
प्रभारी से कोई बात नहीं हुई थी. मैं प्रभारी को नहीं जानता. प्रभारी को भगवान सदबुद्धि दे. आला कमान ने इनको कैसे भेज दिया है, मुङो नहीं मालूम. झारखंड में पार्टी को बरबाद कर दिया है.

अब आगे क्या रणनीति होगी, किस पार्टी में जायेंगे
अभी मैं आला कमान से बात करने जा रहा हूं. आला कमान से बात करने के बाद ही आगे कुछ करूंगा. जहां तक दूसरी पार्टी में जाने की बात है, तो किसी पार्टी में दम नहीं है कि मुङो ले. मैं वर्षो से कांग्रेस में रहा हूं. आला कमान से बात करने के बाद ही कोई फैसला लूंगा. आज मुङो जो कहना था, मैंने कह दिया.

आपको बरखास्त करने का असर गंठबंधन पर पड़ेगा
झामुमो के साथ गंठबंधन कर घाटा हो गया है. हेमंत सोरेन से तालमेल नहीं करना चाहिए था. प्रदेश की जनता की आवाज सुनिए. मैं आला कमान को बताऊंगा कि गलत हो गया. झामुमो का खाता नहीं खुलेगा.

धनबाद से चुनाव लड़ने की चर्चा है, चुनाव लड़ेंगे मैं लोकसभा चुनाव लड़ूंगा. मैं उम्मीदवार हूं. कांग्रेस से नहीं लड़ा, तो निर्दलीय भी लड़ूंगा, लेकिन चुनाव जरूर लड़ूंगा. विधायक दल राजेंद्र सिंह ने भी आपका साथ नहीं दिया कौन साथ दिया, कौन नहीं. यह मैं अभी नहीं बताना चाहता.

मीडिया पर बरसे पुत्र अजय दुबे: बुधवार की दोपहर हेमंत सोरेन सरकार से बरखास्त मंत्री ददई दुबे एचइसी स्थित अपने आवास में थे. दिल्ली जाने की तैयारी कर रहे थे. इसी बीच मीडिया को खबर मिली कि ददई दुबे सेक्टर स्थित अपने सरकारी आवास पर पहुंचे हैं. मीडियाकर्मियों का वहां जमावड़ा लग गया.पत्रकारों ने ददई दुबे से सवाल करना शुरू किया. ददई दुबे बयान दे रहे थे, इधर उनके बेटेअजय दुबे आपा खो रहे थे. अजय दुबे मीडियाकर्मी से भिड़ गये. अजय दुबे का कहना था कि उन्होंने कब कहा कि पार्टी छोड़ रहे हैं. मीडियाकर्मियों पर बरसने लगे. इसके बाद मीडियाकर्मियों से कहा-सुनी हुई. बाद में ददई दुबे ने हस्तक्षेप किया. इसके बाद ददई दुबे अपने आवास के अंदर चले गये. बाहर के कमरे में पत्रकारों के सवाल का जवाब दिया. पूरी बेबाकी से अपनी बातों को रखा. दूसरी तरफ उनके बेटे बुदबुदा रहे थे. सवाल उनके पिता से हो रहा था, वह सहजता से जवाब दे रहे थे. वहीं उनके बेटे पत्रकारों के सवाल पर टिप्पणी कर रहे थे.

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत ने कहा ददई ने वरिष्ठ नेताओं को भी गंभीरता से नहीं लिया
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत ने कहा है कि हेमंत सोरेन सरकार ने मंत्री ददई दुबे को हटाने का फैसला पार्टी की सहमति से ही लिया है. कांग्रेस से बातचीत के बाद ही यह फैसला लिया गया है. सरकार हो या पार्टी अनुशासन जरूरी है. ददई दुबे पार्टी के सीनियर लीडर हैं. उन्हें बयानबाजी नहीं करने की सलाह दी गयी थी. वे प्रदेश प्रभारी बीके हरि प्रसाद और केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश पर भी सवाल उठा रहे थे. ददई दुबे ने सीनियर लीडरों की बातों को भी गंभीरता से नहीं लिया. प्रभात खबर ने कांग्रेस अध्यक्ष सुखदेव भगत से विस्तार से बातचीत की.

ददई दुबे को हटाने का फैसला अकेले सीएम का है या फिर कांग्रेस की सहमति रही है. कांग्रेस की सहमति है. सीएम ने पार्टी की सहमति के बाद ही फैसला किया है.

ददई दुबे को मंत्रिमंडल से क्यों हटाया गया. कोई एक कारण नहीं है. पिछले कई दिनों के घटनाक्रम इसके पीछे के कारण हैं. सरकार हो या पार्टी अनुशासन तो मानना ही होगा. कहीं ना कहीं ददई दुबे ने पार्टी के निर्देश का पालन नहीं किया. सरकार विरोधी बयानबाजी नहीं होनी चाहिए. ददई दुबे कह रहे हैं कि आला कमान का कोई निर्देश नहीं मिला है. ऐसा नहीं है. उनसे बात हुई थी. पहले भी उन्हें ऐसा करने से मना किया गया था. उनको समझाया गया था. प्रभारी बीके हरि प्रसाद और केंद्रीय ग्रामीण मंत्री जयराम रमेश की बात को गंभीरता से नहीं लिया.

अनुशासन में तो रहना ही पड़ेगा. प्रभारी बीके हरि प्रसाद के बारे में उन्होंने कहा है कि वे झारखंड में पार्टी को बरबाद कर रहे हैं. अगर प्रभारी के बारे में कुछ कहा है, तो यह गंभीर मामला है. ऐसे मामले में अनुशासनात्मक कार्रवाई की जायेगी. गंठबंधन पर क्या असर पड़ेगा: गंठबंधन पर कोई असर नहीं पड़ेगा. हमारा गंठबंधन प्रभावी है. इसमें कहीं कोई परेशानी नहीं होने वाली है. ददई दुबे के स्थान पर पार्टी किसे मंत्री बनायेगी. कुछ कहना अभी जल्दबाजी होगी. समय का इंतजार करना चाहिए.

ददई का कद मंत्री से बड़ा है :सुबोधकांतसहाय
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व सांसद सुबोधकांत सहाय ने कहा है कि ददई दुबे को मंत्रिमंडल से बरखास्त किये जाने की घटना निंदनीय है. ददई कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं और रहेंगे. उनका कद मंत्री पद से ऊंचा है.संवादहीनता के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है. ऐसा लगता है कि पार्टी के आलाकमान तक वस्तुस्थिति की सही जानकारी नहीं दी गयी है. ददई दुबे पार्टी के सम्मानित नेता हैं. पार्टी के लिए धरोहर हैं. उन्होंने कहा कि ददई दुबे की बरखास्तगी की जितनी भी निंदा की जाये कम हैं. पार्टी में इनका कद आज भी काफी बड़ा है.

विपक्ष ने सरकार को घेरा

मंत्रिमंडल में सच बोलनेवालों की जगह नहीं
झाविमो विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने कहा कि ददई दुबे ने सच कहने का प्रयास किया. बालू टेंडर के लेन-देन का मामला सामने आ गया है. इससे नाराज होकर बरखास्त करने का कदम उठाया गया. अगर सच बोलने वालों की काग्रेंस में जगह नहीं है, तो उन्हें पार्टी छोड़ देना चाहिए.

डर कर सरकार ने उठाया है कदम
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सह भाजपा विधायक सीपी सिंह ने कहा कि ददई को सही बोलने का दंड मिला. सरकार को डर था कि भंडाफोड़ हो जायेगा. इसको देखते हुए उन्हें बरखास्त करने का कदम उठाया गया. ददई पर यह कहावत सटीक बैठती है. सच कहना बगावत है, तो समझो हम बागी हैं.

सरकार स्पष्ट करे, किन कारणों से हटाया
आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने विशेषाधिकार का प्रयोग कर ददई को मंत्रिमंडल से बरखास्त कर दिया. सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि किन कारणों से हटाने का फैसला लिया गया. क्या उनके आरोपों की जांच की गयी?

जो भी बाधक बनेंगे, उसे सरकार हटा देगी
भाजपा विधायक रघुवर दास ने कहा कि झारखंड में कमजोर सरकार है. इसमें सिर्फ कोलाहल है. कोई किसी की बात नहीं सुनता है. मंत्री ने भ्रष्टाचार पर खुल कर कहा तो उसकी आवाज दबा दी गयी. सरकार में जो भी बाधक बनेगा, उसे हटा दिया जायेगा.

खबरदार, जो सरकार को खिलाफ बोले तो..
कांग्रेस के कद्दावर नेता और ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे को बरखास्त कर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दूसरे मंत्रियों को एक तरह से चेतावनी दी है. सरकार के खिलाफ मुखर नेताओं, गीताश्री उरांव, योगेंद्र साव और मन्नान मल्लिक को चुप रहने के लिए मुख्यमंत्री समेत कांग्रेस आलाकमान ने भी स्पष्ट संकेत दे दिया है.

रणनीति के तहत फैसला: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कभी भी अपने मंत्रियों पर सीधा हमला नहीं किया, लेकिन इशारे से संकेत देते रहे. उन्होंने कई अवसर पर कहा कि सरकार चलाना बहुत कठिन है. एक ही गाड़ी में ट्रैक्टर, स्कूटर और कार के पहिये लगे हुए हैं, ऐसे में बैलेंस कैसे होगा. इधर लोकसभा चुनाव को लेकर झामुमो और कांग्रेस के बीच सीटें तय होनी हैं. इसे लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने एके एंटोनी के साथ बैठक थी, जिसमें ददई दुबे की बयानबाजी का मामला उठाया. मुख्यमंत्री ने श्री दुबे के खिलाफ आरोप पत्र सौंपते हुए यहां तक कह दिया कि कांग्रेस यदि कार्रवाई नहीं करेगी, तो वह कोई भी कदम उठाने के लिए स्वतंत्र हैं. लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस झामुमो की नाराजगी का रिस्क लेना नहीं चाहती थी. हेमंत सोरेन को मनाने का प्रयास किया गया, लेकिन उनके सख्त रवैया को देखते हुए कांग्रेस को झुकना पड़ा. इधर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर भी झामुमो का दबाव था. सविता महतो प्रकरण को लेकर सरकार की फजीहत हुई थी. सहयोगी दल कांग्रेस और राजद ही इसकी मुख्य वजह थे. इस तरह मुख्यमंत्री ने रणनीति के तहत ददई दुबे को मंत्री पद से हटाने का फैसला किया.

बयानबाजी से परहेज करें मंत्री: ददई पर कार्रवाई से कांग्रेस आलाकमान ने भी अपने अन्य मंत्रियों को बयानबाजी से परहेज करने की हिदायत दी है. दुबे को हटाने की सहमति देकर कांग्रेस ने जता दिया है कि सरकार में रह कर विरोध नहीं चलेगा. जो कहना है समन्वय समिति की बैठक में कहें.

सीएम पर सवाल ही विवाद की मुख्य वजह
झारखंड सरकार में वरिष्ठ मंत्री होने के बावजूद ददई दुबे अपनी सरकार के खिलाफ लगातार मुखर रहे हैं. उनकी बयानबाजी से कई बार सरकार को जवाब देते नहीं बना.चाहे बालू को मामला हो या ट्रांसफर पोस्टिंग का. हर मामले में उन्होंने अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा किया. कई मौकों पर उन्होंने केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश को भी लपेटे में ले लिया. आरइओ को ग्रामीण विकास विभाग से अलग किये जाने को लेकर उन्होंने काफी हंगामा मचाया था.

इस मामले में इशारों में उन्होंने केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश पर भी हमला किया. बालू की नीलामी को लेकर वह लगातार सरकार को घेरते रहे. विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भी सरकार को खिलाफ उन्होंने बयान दिया. हद तो तब हो गयी जब उन्होंने कहा : मुख्यमंत्री से लेकर सारे विधायक तबादले के लिए पैरवी करते हैं. सबका पत्र मेरे पास है. पुत्र को बनवाना चाहते थे आयोग का अध्यक्ष: मुख्यमंत्री और मंत्री के बीच विवाद तब और बढ़ गया, जब श्री दुबे ने अपने पुत्र अजय कुमार दुबे को बाल श्रम आयोग का अध्यक्ष बनाने की मांग मुख्यमंत्री से की. मुख्यमंत्री ने इस पर सहमति नहीं दी. इसके बाद तो ददई दुबे मुख्यमंत्री के खिलाफ आग ही उगलने लगे. यह विवाद इतना बढ़ा कि मुख्यमंत्री को उन्हें बरखास्त करना पड़ा.

ददई ने लौटायी गाड़ी व फोर्स रांची :
मंत्री पद से हटने के बाद बुधवार को ददई दुबे ने सरकारी गाड़ी लौटा दी. इसके साथ ही एस्कॉर्ट वाली गाड़ी व फोर्स को भी वापस कर दिया. उन्होंने ग्रामीण विकास व श्रम विभाग से संबंधित कई संचिकाएं भी विभाग में लौटा दी. मंत्री खुद की इनोवा गाड़ी में चलते हैं. वह गाड़ी उनके घर के पास खड़ी है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें