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विवि के सैकड़ों शिक्षकों की प्रोन्नति रुकी

रांची: सरकार की शिथिलता के कारण राज्य के विश्वविद्यालयों के सैकड़ों शिक्षकों की प्रोन्नति रुकी हुई है. मानव संसाधन विकास विभाग द्वारा वर्ष 2010 में एक पत्र जारी किया गया था कि 31 दिसंबर 2008 के बाद नियुक्ति और प्रोन्नति की प्रक्रिया यूजीसी के नये रेगुलेशन (30 जून 2010) के आधार पर होगी. इसी के […]

रांची: सरकार की शिथिलता के कारण राज्य के विश्वविद्यालयों के सैकड़ों शिक्षकों की प्रोन्नति रुकी हुई है. मानव संसाधन विकास विभाग द्वारा वर्ष 2010 में एक पत्र जारी किया गया था कि 31 दिसंबर 2008 के बाद नियुक्ति और प्रोन्नति की प्रक्रिया यूजीसी के नये रेगुलेशन (30 जून 2010) के आधार पर होगी. इसी के आधार पर झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) ने व्याख्याता (वरीय वेतनमान) से रीडर की प्रोन्नति के वैसे उम्मीदवार जिनकी प्रोन्नति तिथि 31 दिसंबर 2008 के बाद थी, उनसे एपीआइ (एकेडमिक परफॉरमेंस इंडिकेटर) की मांग की.

इस आधार पर कई शिक्षकों के इंटरव्यू (रीडर पद की प्रोन्नति के लिए) लिये गये, लेकिन अप्रैल 2012 में उच्च शिक्षा निदेशालय की ओर से एक पत्र आयोग को भेजा गया कि उक्त तिथि वाले शिक्षकों की प्रोन्नति के मामले पर विचार नहीं किया जाये. इसके बाद आयोग ने प्रोन्नति की प्रक्रिया रोक दी. इससे विवि के लगभग दो सौ शिक्षकों की प्रोन्नति रुकी हुई है. प्रभावित शिक्षकों का मानना है कि प्रोन्नति तिथि में परिवर्तन की एक मात्र वजह ओरिएंटेशन /रिफ्रेशर कोर्स की तिथि है. झारखंड के विवि में ओरिएंटेशन/रिफ्रेशर कोर्स की तिथि को ही प्रोन्नति की तिथि माना गया है.

यूजीसी ने ओरिएंटेशन/रिफ्रेशर कोर्स के संदर्भ में तिथियों को समय-समय पर आगे भी बढाया है, लेकिन निदेशालय द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया गया. यूजीसी द्वारा नये प्रावधान के आधार पर रांची विवि सिंडिकेट द्वारा दिसंबर 2011 तथा जून 2013 में प्रोन्नति परिनियम में संशोधन का प्रस्ताव उच्च शिक्षा निदेशालय में भेज दिया गया, लेकिन इससे संबंधित संचिका पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी. निदेशालय के अधिकारियों का कहना है कि इस दिशा में कार्रवाई चल रही है. दूसरी तरफ प्रोन्नति मामले में 27 जुलाई 1998 को यूजीसी द्वारा जारी रेगुलेशन (पांचवां वेतनमान) को झारखंड में परिनियम के रूप में दो जुलाई 2008 को लागू किया गया.

यह परिनियम मानव संसाधन विकास विभाग के मुताबिक मात्र छह महीने में ही निष्प्रभावी हो गया. इस मामले में यूजीसी के संशोधनों के अनुरूप निदेशालय द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गयी. इधर विवि के शिक्षक संघ के माध्यम से कई बार मानव संसाधन विकास विभाग और राज्यपाल सह कुलाधिपति का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया, लेकिन अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई.

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