28.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सीएम की सहमति के बिना ही उग्रवादी को बाल पुलिस के रूप में किया नियुक्त

रांची : डीजीपी ने मुख्यमंत्री की सहमति के बिना ही कथित उग्रवादी को बाल पुलिस के पद पर नियुक्त कर दिया. गृह विभाग ने पुलिस मुख्यालय द्वारा भेजे गये नियुक्ति प्रस्ताव पर आपत्ति जतायी थी. अंतिम निर्णय के लिए फाइल विभागीय मंत्री के पास भेजने का फैसला किया था. विभागीय मंत्री सह मुख्यमंत्री की सहमति […]

रांची : डीजीपी ने मुख्यमंत्री की सहमति के बिना ही कथित उग्रवादी को बाल पुलिस के पद पर नियुक्त कर दिया. गृह विभाग ने पुलिस मुख्यालय द्वारा भेजे गये नियुक्ति प्रस्ताव पर आपत्ति जतायी थी.
अंतिम निर्णय के लिए फाइल विभागीय मंत्री के पास भेजने का फैसला किया था. विभागीय मंत्री सह मुख्यमंत्री की सहमति के पहलेे ही 14 नवंबर को जैप-वन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री के हाथों ही नियुक्त पत्र दिलवा दिया गया. पुलिस के समक्ष सरेंडर करनेवाले कथित पीएलएफआइ के उग्रवादियों के सिलसिले में गृह विभाग के विशेष सचिव ने टिप्पणी की है. टिप्पणी में लिखा है कि वे उग्रवादी तो क्या अपराधी भी नहीं हैं, क्योंकि सरेंडर करनेवाले नौ में आठ के खिलाफ किसी तरह का मामला दर्ज नहीं है.
पुलिस मुख्यालय ने 17 अक्तूबर को चाईबासा में सरेंडर करनेवाले नौ पीएलएफआइ उग्रवादियों में से आयु हेरेंज को मानवीय आधार पर बाल पुलिस के रूप में नियुक्त करने का प्रस्ताव दिया था.
गृह विभाग के उपसचिव शेखर जमुआर ने इस प्रस्ताव की समीक्षा करते हुए गंभीर टिप्पणी की. उन्होंने लिखा कि विभाग मेें सिर्फ नक्सली हिंसा में मारे गये पुलिसकर्मियों के आश्रितों को ही बाल पुलिस के रूप में नियुक्त करने का प्रावधान है. उन्होंने विशेष शाखा के एडीजी के हवाले से यह लिखा कि सरेंडर करनेवाले कथित पीएलएफआइ उग्रवादियों के नाम सरकार ने किसी तरह की पुरस्कार राशि की घोषणा नहीं की थी.
इसके बावजूद इन कथित उग्रवादियों को प्रोत्साहन राशि के रूप में एक-एक लाख और 50-50 हजार रुपये दिये गये. यह नियम विरुद्ध है. उपसचिव ने अपनी टिप्पणी में यह भी लिखा कि प्रस्ताव के साथ स्क्रिनिंग कमेटी की अनुशंसा, पुनर्वास की अनुशंसा, सरेंडर करनेवालों का इकबालिया बयान और उनके आपराधिक इतिहास का ब्योरा नहीं है. सरेंडर करनेवालों में से सिर्फ एक पर हत्या के आरोप में प्राथमिकी दर्ज है. शेष आठ के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं है.
ऐसी परिस्थिति में उन्हें 16.5 लाख रुपये कैसे दिये गये. इस सिलसिले मे पुलिस मुख्यालय से पूछा जाना चाहिए. साथ ही नियुक्ति के मामले में उचित निर्णय के लिए फाइल विभागीय मंत्री के पास भेजनी चाहिए. गृह विभाग के तत्कालीन विशेष सचिव बीबी प्रधान ने उपसचिव की रिपोर्ट की समीक्षा के बाद अपनी टिप्पणी में लिखा कि सरेंडर करनेवाले उग्रवादी तो क्या अपराधी भी नहीं हैं. उन्होंने 14 वर्षीय आयु हेरेंज को बाल पुलिस के पद पर नियुक्त करने के प्रस्ताव को न्यायोचित नहीं माना. विशेष सचिव की टिप्पणी के बाद फाइल गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव एनएन पांडेय के पास पहुंची.
उन्होंने 28 नवंबर को लिखा कि भुगतान के मामले में पुलिस मुख्यालय से पूछा जाये. इससे पहले पुलिस मुख्यालय ने 14 नवंबर को जैप-वन में आयोजित परेड समारोह में मुख्यमंत्री के हाथों ही आयु हेरेंज को बाल पुलिस का नियुक्त पत्र दिलवा दिया.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें