रांची: झारखंड में राष्ट्रीय दलों के लिए चुनावी रास्ता आसान नहीं है. भाजपा-कांग्रेस जैसे दलों को चुनावी जंग में सिंगल मैन पार्टी से भी दो-दो हाथ करने होंगे. झारखंड में कई नेताओं-विधायकों की अपनी-अपनी पार्टी है. अपने-अपने इलाके में इनकी पैठ है. पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा, विधायक बंधु तिर्की, विधायक एनोस एक्का, पूर्व मंत्री भानु प्रताप शाही प्रदेश में अपनी पार्टी चला रहे हैं.
लोकसभा चुनाव में इन नेताओं की पार्टी भी दावं लगायेगी. कोल्हान में मधु कोड़ा, तो दक्षिणी छोटानागपुर में बंधु तिर्की और एनोस एक्का फैक्टर होंगे. वहीं पलामू में भानु प्रताप शाही की पार्टी भी चुनावी गणित बना-बिगाड़ सकती है. अपने-अपने इलाके में इन नेताओं के झंडाबदार चुनावी जंग में होंगे. मधु कोड़ा चाईबासा सीट पर मजबूत पकड़ रखते हैं, वहीं बंधु तिर्की रांची संसदीय सीट पर नजर गड़ाये हुए हैं. बंधु की पैठ कांग्रेस के लिए सिरदर्द है. लोहरदगा संसदीय सीट पर भी बंधु ने पकड़ बनायी है. पहले भी उम्मीदवार दे चुके हैं. वहीं एनोस एक्का खूंटी संसदीय सीट के लिए पैर पसार रहे हैं. भानु पलामू और चतरा संसदीय सीट के लिए ताल ठोंक रहे हैं.
बड़े दल की नजर इन नेताओं पर : बड़े दलों की नजर इन नेताओं की पार्टी पर है. ये दल कांग्रेस से नजदीक माने जाते हैं. कांग्रेस के वोट बैंक पर इन दलों की सेंधमारी भी है. कांग्रेस चुनाव के समय इन दलों को मनाने की कोशिश करेगी. मधु कोड़ा की पत्नी व विधायक गीता कोड़ा को कांग्रेस में शामिल कराने की चर्चा है. यदि ऐसा हुआ तो कांग्रेस की चाईबासा सीट पर मुश्किलें दूर होंगी. कांग्रेस एनोस एक्का पर भी चुनाव के समय पासा फेंक सकती है. कांग्रेस विधानसभा चुनाव की शर्त पर लोकसभा चुनाव के लिए इन दलों से समर्थन हासिल कर सकती है.इन छोटे दलों के लिए मान-मनौव्वल का दौर चुनावी प्लॉट तैयार करेगा.
क्या कहते हैं नेता
पूरे दमखम से चुनाव लड़ेंगे. अपने आधारक्षेत्र वाले इलाके में उम्मीदवार देंगे. दूसरे दल चुनाव के समय आते हैं. हम 12 महीने जनता के दुख-दर्द में साथ रहते हैं. हमारी पार्टी रांची, लोहरदगा संसदीय सीट से उम्मीदवार देगी. हम झारखंडी आदिवासी-मूलवासी को गोलबंद करने का काम करेंगे.
बंधु तिर्की, विधायक व झाजमं नेता
हमारी पार्टी चुनाव की तैयारी में है. हम दो सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. झारखंड के सवालों को लेकर जनता के बीच जायेंगे. पार्टी लोहरदगा और खूंटी से चुनाव लड़ेगी.
एनोस एक्का, विधायक व झापा नेता
रांची संसदीय सीट से निर्दलीय भी बने हैं सांसद
रांची संसदीय सीट का नाम पहले रांची इस्ट था. रांची ईस्ट और रांची वेस्ट दो संसदीय क्षेत्र थे. रांची ईस्ट अनारक्षित था. रांची वेस्ट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित था. कभी इस सीट पर जयपाल सिंह सांसद हुआ करते थे. रांची ईस्ट के पहले सांसद अब्दुल इब्राहीम थे. वर्ष 1957 में वर्तमान रांची संसदीय सीट (तत्कालीन रांची इस्ट) पर निर्दलीय प्रत्याशी मीनू मसानी विजयी रहे.
वर्ष 1962 के बाद रांची ईस्ट का नाम परिवर्तित कर रांची संसदीय सीट कर दिया गया. रांची वेस्ट सीट को समाप्त कर दिया गया. इसके कुछ भाग को सीमावर्ती संसदीय क्षेत्र (लोहरदगा और खूंटी) में मिला दिया गया.वर्ष 1967 के बाद से रांची संसदीय सीट पर लगातार दो बार पीके घोष सांसद बने. एक बार उन्होंने एएनएससिन्हा और दूसरी बार रुद्र प्रताप सारंगी को हराया.