रांची: झारखंड उच्च न्यायालय ने राज्य की पांच जेलों में सैंकड़ों कैदियों की भूख हड़ताल पर आज स्वयं संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी कर हड़ताल खत्म करने के लिए उठाये गये कदमों और कैदियों की सजा के बाद रिहाई की स्थिति पर चौबीस घंटे में जवाब तलब किया.
झारखंड उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश आर बानुमथी और एस चंद्रशेखर की खंडपीठ ने प्रदेश सरकार के गृह सचिव, कारागार महानिरीक्षक, विधि सचिव और प्रमुख परिवीक्षाधीन अधिकारी को इस सिलसिले में कल तक जवाब देने का निर्देश दिया. इस मामले की सुनवाई अब कल होगी.राज्य की पांचों केंद्रीय कारागारों में लगभग डेढ़ हजार कैदी अपनी मांगों के साथ पिछले कई दिनों से भूख हड़ताल पर हैं. इनमें से अनेक कैदी ऐसे हैं जिनकी सजा बहुत पहले खत्म हो चुकी है. लेकिन उनकी रिहाई किसी न किसी कारण से नहीं हो सकी है. ऐसे भी कैदी जेल में बंद हैं जिनकी सजा माफ कर दी है अथवा कम कर दी गयी है और वह जेल से नहीं छूटे हैं.
न्यायालय ने सरकार को जारी नोटिस में पूछा है कि जेलों में कैदियों की भूख हड़ताल की क्या स्थिति है. कैदी भूख हड़ताल पर क्यों हैं और उसे खत्म कराने के लिए राज्य सरकार ने क्या कदम उठाये हैं. राज्य में कैदियों की रिहाई पर विचार करने और उनकी सजा कम करने के प्रावधानों को लेकर क्या कोई समिति है? अदालत ने जानना चाहा है कि आखिर जिन कैदियों की सजा समाप्त हो चुकी है उनकी रिहाई जेल से क्यों नहीं हो पायी है?