राची: आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव को लेकर झारखंड के राजनीतिक दल रणनीति बनाने में जुट हुए हैं. राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों के बीच गंठबंधन को लेकर बातचीत भी चल रही है.
लोकसभा चुनाव में भाजपा और आजसू अकेले चुनाव लड़ेंगी, लेकिन विधानसभा चुनाव में यह समीकरण बदल सकता है. भाजपा के वरीय नेताओं के अनुसार, विधानसभा चुनाव को लेकर दोनों दलों के बीच दोस्ताना माहौल बनाने का काम शुरू कर दिया गया है. अगर सब कुछ ठीक रहा, तो विधानसभा चुनाव से पूर्व भाजपा-आजसू का गंठबंधन हो सकता है.
इसे लेकर दोनों दल आशान्वित हैं. इनका मानना है कि बहुमत हासिल करने में गंठबंधन की भूमिका अहम हो सकती है. पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा और जदयू ने मिल कर चुनाव लड़ा था. जदयू को विधानसभा की लगभग 14 सीटें दी गयी थीं. इसमें से सिर्फ दो सीटों पर जदयू प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी. जदयू से गंठबंधन टूटने के बाद नया समीकरण तैयार करने की कोशिश की जा रही है. पिछले चुनाव में आजसू ने अकेले लड़ कर छह विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी.
पार्टी नेताओं का मानना है कि भाजपा-आजसू का गंठबंधन होने से दोनों दलों को फायदा होगा. कई सीटों पर दोनों दल एक-दूसरे के समर्थन से जीत सुनिश्चित कर सकते हैं. हालांकि, दोनों दल की ओर से फिलहाल इस बात की पुष्टि नहीं की जा रही है.
अभी कोई बातचीत नहीं, बाद में होगा विचार
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ रवींद्र राय ने कहा कि अभी इसे लेकर कोई बातचीत नहीं हो रही है. आगे की रणनीति पर बाद में विचार किया जायेगा. राज्यसभा चुनाव में सत्तारूढ़ दल को दोनों सीटों पर जीत दर्ज करने से रोकने के लिए दोनों दलों ने मिल कर निर्दलीय प्रत्याशी परिमल नथवाणी को समर्थन दिया. इससे नथवाणी की जीत सुनिश्चित हो पायी. भाजपा-आजसू के एक साथ मिल कर विधानसभा चुनाव लड़ने से राजनीतिक समीकरण बदल सकता है.