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रोजी-रोटी दें, तो उग्रवाद खत्म: ददई दुबे

रांची: राज्य के ग्रामीण विकास, पंचायती राज व श्रम मंत्री चंद्रशेखर दुबे (ददई दुबे) ने कहा कि गरीबी ही उग्रवाद का मुख्य कारण है. गरीबी की वजह से कुछ लोग राइफल उठा लिये हैं. उनके परिवार के लिए रोजी-रोटी सहित अन्य मूलभूत सुविधाएं मुहैया होगी तो उग्रवाद समाप्त हो जायेगा. श्री दुबे मंगलवार को हरमू […]

रांची: राज्य के ग्रामीण विकास, पंचायती राज व श्रम मंत्री चंद्रशेखर दुबे (ददई दुबे) ने कहा कि गरीबी ही उग्रवाद का मुख्य कारण है. गरीबी की वजह से कुछ लोग राइफल उठा लिये हैं. उनके परिवार के लिए रोजी-रोटी सहित अन्य मूलभूत सुविधाएं मुहैया होगी तो उग्रवाद समाप्त हो जायेगा.

श्री दुबे मंगलवार को हरमू स्थित पटेल भवन में आयोजित झारखंड मनरेगा मजदूर सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में वक्तव्य दे रहे थे. इसका आयोजन पूअरेस्ट एरिया सिविल सोसाइटी (पैक्स) प्रोग्राम की ओर से किया गया था. श्री दुबे ने कहा कि यहां का सारा संसाधन (रॉ मेटेरियल) बाहर चला जाता है. इसका इस्तेमाल यहीं करेंगे, तो फैक्टरी खुलेगी. लोगों को रोजगार मिलेगा. मंत्री ने पैक्स की ओर से सौंपे गये 16 सूत्री मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया. मंत्री ने कहा कि मनरेगा कर्मियों को उनके विभागों में नौकरी के लिए 50 फीसदी आरक्षण दिया जायेगा.

मनरेगा का ग्राफ नीचे गिरा है
बलराम ने कहा कि मनरेगा का ग्राफ नीचे गिरा है. काम कम हुए हैं. खर्च भी कम हुए हैं. वहीं आवेदन भी कम आये हैं. काम का ऐसा मॉडल बने कि मनरेगा में झारखंड अव्वल हो. झारखंड में आधे बच्चे कुपोषित हैं.

मनरेगा लोकपाल गुरजीत सिंह ने कहा कि मनरेगा योजना नहीं, कानून है. इसके बारे में जानने की जरूरत है. पैक्स प्रोग्राम के स्टेट मैनेजर जॉनसन टोपनो ने कहा कि काम मांगों अभियान चल रहा है, पर मजदूर काम के बारे में नहीं जानते हैं. उन्होंने कहा कि पैक्स 12 जिलों के 2000 गांवों में 30 संस्थाओं के साथ मिल कर काम कर रही है. कार्यक्रम में राज्य के 10 जिलों से बड़ी संख्या मनरेगा मजदूर शामिल हुए.

पेमेंट में फर्जीवाड़ा होता है: योगेंद्र साव
कृषि मंत्री योगेंद्र साव ने कहा कि मजदूरों नियमित मजदूरी देने की व्यवस्था होनी चाहिए. मजदूरी के पेमेंट फर्जीवाड़ा होता है.जो समय से मनरेगा का भुगतान नहीं करते हैं, उनपर एफआइआर कर जेल भेजें. उनके क्षेत्र के लोग कुएं के लिए आते हैं, तो कहते हैं कि हम 20 हजार देंगे, लेकिन मनरेगा से दो लाख मिलेगा. तो लोग कहते हैं कि दो लाख मनरेगा से लेकर फंस जायेंगे. आफत नहीं लेना है. आप ही 20 हजार वाला कुआं दे दीजिए.

मजदूरों ने सुनायी अपनी व्यथा
विभिन्न जिलों से आये मजदूरों ने मंत्री-अफसरों के सामने अपनी समस्या बतायी. दुमका के बबलू हेंब्रम ने कहा कि मनरेगा से समय पर भुगतान नहीं मिलता. 20 दिन में पैसा मिलता है. ऐसे में सब बंगाल काम करने जा रहे हैं. सरैयाहाट के श्रवण हेंब्रम ने कहा कि उन्हें आठ साल में मात्र 96 दिन काम मिला है. ऐसे में पेट कैसे चलेगा.

विकास में सहायक
सर्ड निदेशक आरपी सिंह ने कहा कि मनरेगा से रोटी,कपड़ा और मकान प्राप्त किया जा सकता है. गांवों के विकास में मनरेगा सहायक साबित हो रहा है.

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