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जैक की पहल: 590 मदरसों को मान्यता देने की प्रक्रिया शुरू डीइओ से मांगी रिपोर्ट

रांची: मदरसा प्रस्वीकृति नियमावली 1980 में संशोधन के बाद मदरसों को मान्यता देने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है. मदरसों को मान्यता देने की अनुशंसा झारखंड एकेडमिक काउंसिल मानव संसाधन विकास विभाग से करेगी. इसके लिए झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) ने सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारियों से मदरसों की निरीक्षण रिपोर्ट मांगी है. इस […]

रांची: मदरसा प्रस्वीकृति नियमावली 1980 में संशोधन के बाद मदरसों को मान्यता देने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है. मदरसों को मान्यता देने की अनुशंसा झारखंड एकेडमिक काउंसिल मानव संसाधन विकास विभाग से करेगी. इसके लिए झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) ने सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारियों से मदरसों की निरीक्षण रिपोर्ट मांगी है.

इस माह के अंत तक यह रिपोर्ट देने को कहा गया है. राज्य में लगभग 590 गैर अनुदानित मदरसा है. इनमें से लगभग 400 मदरसों के पास मापदंड के अनुरूप जमीन नहीं है. राज्य में आधे से अधिक मदरसा संताल परगना प्रमंडल में हैं.इनकी मान्यता के लिए पहले यह आवश्यक था कि जमीन मदरसा के नाम से हो. संताल परगना प्रमंडल में एसपीटी एक्ट के कारण जमीन का निबंधन मदरसा के नाम से नहीं है. इस कारण मदरसों को मान्यता नहीं मिल रही थी . राज्य में सबसे अधिक 141 मदरसा पाकुड़ जिले में है.

अंचल अधिकारी देंगे प्रमाण पत्र
सरकार द्वारा मदरसा प्रस्वीकृति नियमावली 1980 में किये गये बदलाव के बाद संताल परगना प्रमंडल में मदरसों की मान्यता के लिए भूमि का निबंधन आवश्यक नहीं होगा. एकीकृत बिहार के समय से संचालित एवं निबंधित मदरसों के संबंध में जो प्रक्रिया अपनायी जाती थी, उसी आधार पर अंचल अधिकारी द्वारा दिये गये प्रमाण पत्र के आधार पर मदरसों को मान्यता दी जायेगी. पहले छात्र व शिक्षकों की संख्या के अनुपात में कुर्सी, टेबल, डेस्क, ब्लैक बोर्ड आदि की व्यवस्था करने का प्रावधान था. नियामवली में संशोधन के बाद संसाधनों को पठन-पाठन की आवश्यकता के अनुरूप करने की बात कही गयी है.

148 का मापदंड के अनुरूप भवन नहीं
राज्य में लगभग 148 ऐसे मदरसा है, जिनके पास जमीन तो है, पर मापदंड के अनुरूप भवन नहीं है. प्रावधान के अनुरूप मदरसा के पास 300 वर्ग फीट में भवन होना आवश्यक है. कई मदरसों के पास 250 व 270 वर्ग फीट का ही भवन है.

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