रांची: केंद्र सरकार ने पांच हेक्टेयर (12.35 एकड़) के छोटे बालू घाटों से बालू उठाव पर पाबंदी लगा दी है. उन छोटे बालू घाटों की बंदोबस्ती मुंबई की उन कंपनियों के साथ नहीं की जा सकती है, जिसके लिए कंपनी ने अधिक बोली लगायी थी.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा बिना पर्यावरण स्वीकृति के किसी प्रकार के खनन पर पाबंदी लगाये जाने के आदेश के आलोक में केंद्र सरकार ने खनन क्षेत्रों का वर्गीकरण किया है. केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रलय ने इससे संबंधित आदेश 24 दिसंबर 2013 को जारी किया है. इसकी प्रति राज्य सरकार को भी भेजी है.
भारत सरकार के इस आदेश में विभिन्न प्रकार के खनिजों के लिए पर्यावरण स्वीकृति के लिए दिशा-निर्देश जारी किया गया है. इसके तहत मुख्य खनिज (मेजर मिनरल) के खनन के लिए पर्यावरण स्वीकृति का अधिकार केंद्र के पास है. राज्य सरकार को लघु खनिज (माइनर मिनरल) के लिए पर्यावरण स्वीकृति का अधिकार दिया गया है. केंद्र सरकार ने लघु खनिजों के मामले में बालू के लिए विशेष आदेश जारी किया है. इसके तहत वैसे बालू घाटों से बालू के उठाव पर पाबंदी लगा दी गयी है, जिसका क्षेत्रफल 12.35 एकड़ से कम हो. इससे ऐसे बालू घाटों की न तो नीलामी की जा सकेगी और न ही उससे बालू उठाव के लिए पर्यावरण स्वीकृति दी जायेगी.
नये आदेश का प्रभाव
राज्य में उभरे बालू विवाद पर सरकार ने अब तक हो चुकी नीलामी को विधि सम्मत कार्रवाई करते हुए रद्द करने का फैसला किया था. इसके बावजूद इस बात की कोशिश की जा रही थी कि जिन घाटों की नीलामी मुंबई की कंपनी से हो चुकी है, उसे बरकरार रखा जाये और उसकी बंदोबस्ती कर दी जाये. पर, उन घाटों की बंदोबस्ती उस कंपनी के साथ नहीं की जा सकेगी, जिसका क्षेत्रफल 12.35 एकड़ से कम है. केंद्र के इस नये आदेश से रांची जिले में खलारी, चान्हो, बुंडू, कांके, सिल्ली सहित अन्य प्रखंडों के दो दर्जन से अधिक घाट प्रभावित होंगे.