रांची: झारखंड के नगर निकायों का पूरा काम एक वर्ष में ऑनलाइन हो जायेगा. केंद्र सरकार ने झारखंड के निकायों में इ-गवर्नेस सिस्टम लागू करने के लिए 23 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है.
प्रोजेक्ट समाप्त करने की अवधि एक वर्ष है. केंद्र सरकार ने यह राशि जवाहर लाल नेहरू नेशनल अरबन रिन्यूअल मिशन (जेएनएनयूआरएम) की सहायक योजना नेशनल मिशन मोड प्रोजेक्ट ऑन इ-गवर्नेस (एनएमएमपी) के तहत दी है. झारखंड योजना के तहत राशि प्राप्त करनेवाला देश का पहला राज्य है.
कॉमन सॉफ्टवेयर से जुडेंगे निगम
राज्य के निकायों में इ-गवर्नेस सिस्टम लागू करने के लिए स्टेट लेबल डेटा सेंटर तैयार किया जायेगा. इसके लिए ग्रेटर रांची डेवलपमेंट ऑथोरिटी (जीआरडीए) को नोडल एजेंसी बनाया गया है. डेटा सेंटर में एक कॉमन सॉफ्टवेयर तैयार किया जायेगा. सॉफ्टवेयर के माध्यम से राज्य के किसी भी निकाय को हुक किया जा सकेगा. सॉफ्टवेयर से जुड़ने के बाद निकाय इंटरनेट से जुड़ जायेंगे.
रात में भी निकाल सकेंगे जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र
इ-गवर्नेस सिस्टम से राज्य के नगर निकायों के जुड़ जाने के बाद कभी भी सेवा प्राप्त की जा सकेगी. जरूरत पड़ने पर रात के एक बजे भी जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त किया जा सकेगा. टैक्स भी 24 घंटे भरे जा सकेंगे. इसके अलावा भवन निर्माण योजनाओं की स्वीकृति भी ऑनलाइन प्राप्त की जा सकेगी. निकायों के कर्मचारियों की व्यक्तिगत जानकारी भी इंटरनेट से प्राप्त की जा सकेगी.
धनबाद में पायलट प्रोजेक्ट
इ-गवर्नेस का पायलट प्रोजेक्ट धनबाद नगर निगम से शुरू हो गया है. पूर्व में इ-गवर्नेस के पायलट प्रोजेक्ट के लिए केंद्र ने झारखंड के दो निकायों (जमशेदपुर और धनबाद) का चयन किया गया था. तकनीकी कारणों से जमशेदपुर को नगर निगम नहीं घोषित किये जाने के कारण धनबाद में सबसे पहले योजना आरंभ होगी.