रांची: राज्य में बढ़ती छेड़खानी और दुष्कर्म की घटनाओं को लेकर हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को समुचित कार्रवाई सुनिश्चित करने का आदेश दिया है. इस मामले में चीफ जस्टिस आर भानुमति गंभीर है. उन्होंने जनहित याचिका पर विस्तृत आदेश जारी किया है. राज्य सरकार को सख्त कदम उठाने का निर्देश दिया गया है.
चीफ जस्टिस ने राज्य सरकार को महिलाओं के खिलाफ होनेवाले अपराध को रोकने और दर्ज मामलों के स्पीडी डिस्पोजल के लिए सख्त कानून बनाने का सुझाव दिया है. उन्होंने कहा कि छेड़खानी (इव टीजिंग) रोकने के लिए तमिलनाडु प्रोहिबिटेशन ऑफ इव टीजिंग एक्ट 1998 व दिल्ली प्रोहिबिटेशन ऑफ इव टीजिंग एक्ट 1998 बने हुए हैं. उन कानूनों की तर्ज पर झारखंड को भी छेड़खानी रोकने के लिए कानून बनाने पर विचार करना चाहिए.
पीड़ितों की मदद करेगा झालसा: चीफ जस्टिस आर भानुमति ने झारखंड लीगल सर्विस ऑथोरिटी (झालसा) को पीड़ितों की मदद करने का निर्देश दिया. साथ ही राज्य महिला आयोग, राज्य मानवाधिकार आयोग तथा महिला व बाल विकास विभाग को निर्देश दिया कि वे झालसा के साथ मिल कर छेड़खानी या महिलाओं पर होनेवाली अन्य घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठायें.
मुख्य सचिव को निर्देश
चीफ जस्टिस ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि छेड़खानी या दुष्कर्म जैसी घटनाओं को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये आदेश और दिशा निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करायें. कोर्ट के आदेश की प्रति सभी उपायुक्तों को भेजा जाये. घटनाओं को रोकने के लिए समुचित कदम उठाये जाये.
डीजीपी को निर्देश
डीजीपी को निर्देश दिया कि वह प्रभावकारी कदम उठाये. जिलों के पुलिस अधीक्षकों को घटनाओं से सतर्क रहने की हिदायत दें. साथ ही शिक्षण संस्थानों, गल्र्स हॉस्टलों, वर्किग वूमैन हॉस्टलों, बाजार, रेलवे स्टेशन, बस स्टैड़, सिनेमा हॉल, पब्लिक सर्विस वैहिकल, ट्रेनों सहित अन्य सार्वजनिक स्थलों पर सादे लिबास में महिला पुलिसकर्मियों को तैनात करने का निर्देश दिया गया. इन स्थलों पर सीसीटीवी कैमरे लगाये जाये.