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2020 में दुनिया में सबसे युवा देश होगा भारत

।। सुदेश कुमार महतो।। आज युवा-शक्ति के प्रतीक स्वामी विवेकानंद की 151वीं वर्षगांठ है. उनके सपनों का उदीयमान भारत आज अपने विकास सफर के ऐतिहासिक मोड़ पर है. 65 वर्ष किसी भी देश के जीवन काल का एक लंबा कालखंड नहीं होता, फिर भी वर्तमान परिस्थितियों एवं भविष्य की चुनौतियों के परिप्रेक्ष्य में ठहर कर […]

।। सुदेश कुमार महतो।।

आज युवा-शक्ति के प्रतीक स्वामी विवेकानंद की 151वीं वर्षगांठ है. उनके सपनों का उदीयमान भारत आज अपने विकास सफर के ऐतिहासिक मोड़ पर है. 65 वर्ष किसी भी देश के जीवन काल का एक लंबा कालखंड नहीं होता, फिर भी वर्तमान परिस्थितियों एवं भविष्य की चुनौतियों के परिप्रेक्ष्य में ठहर कर आत्मावलोकन का एक महत्वपूर्ण अवसर जरूर होता है. देश की उपलब्धियां कम नहीं है. हरित क्रांति, दुग्ध क्रांति, दूरसंचार क्रांति मीडिया एवं न्यायपालिका की सजग सक्रियता, अंतरिक्ष तकनीक, आणविक ऊर्जा एवं सूचना तकनीक, सूचना का अधिकार एवं शिक्षा का अधिकार देश के विकास की महत्वपूर्ण उपलब्धियां है. ये सभी ऐतिहासिक घटनाएं है जिसने देश को वर्तमान मुकाम तक लाने में अहम भूमिका निभायी. दूसरी ओर वे परिस्थितियां भी है जो भविष्य की चुनौतियों की ओर संकेत करती है. लगभग 35 करोड़ निरक्षर आबादी, 33 करोड़ गरीब आबादी, 15 करोड़ आबादी को शुद्ध पेयजल की अनुपलब्धता, एक अरब आबादी के लिए मात्र 8़5 लाख चिकित्सक, 60 प्रतिशत बच्चों का कुपोषित होना, मात्र 47 प्रतिशत महिलाओं के लिए संस्थागत प्रसव एवं 27 प्रतिशत महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच देश की आर्थिक एवं सामाजिक चुनौतियों के लिए संकेत हैं.

आज देश के पास युवाओं की फौज है. लगभग 43 करोड़ युवा हैं. एक अनुमान के अनुसार देश में 2021 तक युवाओं की जनसंख्या लगभग 46.4 करोड़ होगी तथा 2026 तक यह संख्या घटकर 45.8 करोड़ हो जायेगी. इस प्रकार भारत 2020 तक दुनियां का सबसे ‘‘युवा देश’’ होगा. भारत के लिए यह ऐतिहासिक अवसर इसलिए होगा कि उस समय अन्य देशों की आबादी प्रौढ़ हो रही होगी. वर्ष 2020 तक भारत की आबादी के 64 प्रतिशत लोग वर्किग एज के होंगे. वही अमेरिका में 1. 7करोड़, चीन में 1 करोड़, जापान में 90 लाख, रूस में 60 लाख कार्य करने वालों की कमी होगी.

इस अवसर का लाभ उठाने के लिए देश को तैयार होना होगा. देश की युवा शक्ति को तकनीकी ज्ञान एवं कौशल से लैस करना होगा. राजनीति में युवकों की भागीदारी, नीति निर्धारण में इनकी बढ़ती सहभागिता, इनके जीवन में गुणात्मक सुधार सुनिश्चित कर इस अवसर का संपूर्ण लाभ उठाया जा सकता है.

आज देश को राजनीतिक स्वतंत्रता प्राप्त है, लेकिन देश की जनता को आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त नहीं है. आज भी देश की बड़ी आबादी भूख, बीमारी एवं निरक्षरता जैसी आर्थिक गुलामी की शिकार है. इस परिस्थिति को पलटना आज की युवा पीढ़ी की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है. हर बच्चे की आंखों से आंसू पोछने के महात्मा गांधी के सपनों को साकार करने की जिम्मेदारी इस देश के हम जैसे युवाओं पर ही है.उपर्युक्त चुनौतियां कामोबेश झारखंड के लिए भी प्रासंगिक है. हमें राज्य की युवाशक्ति पर भरोसा है. उनके उत्साह व अपार विश्वास एवं ऊर्जा से इस राज्य की दशा एवं दिशा निर्धारित होगी.

(लेखक आजसू के केंद्रीय अध्यक्ष हैं)

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