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रेल विजिलेंस, आरपीएफ, जीआरपी सहित अन्य का महीना फिक्स

ट्रेन के टिकटों की कालाबाजारी में टिकट एजेंटों और बुकिंग क्लर्को के साथ रेलवे के अधिकारियों का भी हिस्सा होता है. रेलवे अधिकारियों से सांठ-गांठ होने के कारण कालाबाजारियों को पकड़े जाने का डर नहीं होता. एजेंटों और क्लर्को का गंठजोड़ इतना तगड़ा है कि छापेमारी की सूचना उन तक पहले ही पहुंच जाती है. […]

ट्रेन के टिकटों की कालाबाजारी में टिकट एजेंटों और बुकिंग क्लर्को के साथ रेलवे के अधिकारियों का भी हिस्सा होता है. रेलवे अधिकारियों से सांठ-गांठ होने के कारण कालाबाजारियों को पकड़े जाने का डर नहीं होता. एजेंटों और क्लर्को का गंठजोड़ इतना तगड़ा है कि छापेमारी की सूचना उन तक पहले ही पहुंच जाती है. टिकटों की कालाबाजारी करते हुए पकड़े जाने पर भी अब तक किसी एजेंट को सजा नहीं मिली है. कोई बुकिंग क्लर्क आज तक टिकटों की गड़बड़ी करते हुए पकड़ा भी नहीं गया है. पेश है प्रभात खबर संवाददाता की रिपोर्ट :

रांची: ट्रेन की टिकटों की कालाबाजारी में केवल बुकिंग क्लर्क और एजेंटों का ही नहीं बल्कि रेलवे के अधिकारियों को भी हिस्सा मिलता है. टिकटों की दलाली में एक टिकट एजेंट अधिकारियों को पांच से 15 हजार रुपये तक प्रति माह (क्षमता के मुताबिक) देता है. यह राशि रेलवे विजिलेंस, आरपीएफ, जीआरपी समेत रेलवे के अन्य बड़े अधिकारियों में बांटी जाती है. बदले में रेलवे के अधिकारी जानकारी होने पर भी चुप्पी साधे रहते हैं. वह टिकट की कालाबाजारी रोकने के लिए मजबूरी में की जाने वाली छापामारी की सूचना भी एजेंटों को पहले ही दे देते हैं.

करते हैं नकली छापामारी
रेलवे के अधिकारी टिकटों की कालाबाजारी रोकने के लिए नकली छापामारी करते हैं. बुकिंग क्लर्क और एजेंट को इसकी सूचना अग्रिम दे दी जाती है. सूत्र बताते हैं कि ऊपर से दबाव पड़ने पर छापामारी करनेवाले अधिकारी खुद अपने पैसे से टिकट खरीदते हैं और किसी एजेंट के विरुद्ध मामला दर्ज करा देते हैं. मामला ठंडा पड़ने पर वह केस कमजोर कर एजेंट को बरी होने में मदद भी करते हैं. इसी वजह से राज्य गठन के बाद से आज तक किसी टिकट एजेंट को सजा नहीं हो पायी है. मामला कोर्ट में चलने के बाद एजेंट निदरेष बरी हो जाता है.

अंतरराज्यीय स्तर पर कालाबाजारी
रेल टिकटों की कालाबाजारी का धंधा अंतरराज्यीय है. रांची, हटिया समेत रेलवे के अन्य टिकट काउंटरों पर मुंबई और दिल्ली के एजेंटों का टिकट बनाया जाता है. तत्काल के टिकटों को हासिल करने के लिए मुंबई, दिल्ली समेत अन्य बड़े शहरों के एजेंट सक्रिय रहते हैं. वे रांची के टिकट एजेंटों और बुकिंग क्लर्को से संपर्क में रहते हैं. तत्काल का टिकट फ्लाइट के माध्यम से मुंबई, दिल्ली जैसे शहरों में पहुंचाया जाता है. बड़े शहरों के लिए कटाये गये टिकटों की दर मुंहमांगी होती है. इसमें एजेंट और बुकिंग क्लर्क को भी बढ़िया कमीशन मिलता है.

सभी ट्रेनों के टिकटों पर एजेंटों का कब्जा
रांची और हटिया से खुलने वाली सभी ट्रेनों के तत्काल टिकटों पर एजेंटों का कब्जा है. आमतौर पर राजधानी, यशवंतपुर, धनबाद-अल्लपुंजा एक्सप्रेस, हैदराबाद एक्सप्रेस, हटिया-मुंबई एलटीटीइ, हटिया-पुणो एक्सप्रेस सहित कई अन्य ट्रेनों में काउंटर से तत्काल का एक भी टिकट किसी यात्री को नहीं मिलता है. तत्काल के सभी टिकट पहले से प्री फीडिंग के जरिये एजेंटों के लिए बुक रहते हैं.इन रूट के यात्रियों की संख्या अधिक होने के कारण एजेंटों को यात्रियों से मुंह मांगा दाम मिलता है. बुकिंग क्लर्को को भी बढ़ा हुआ शेयर मिलता है. हालांकि पटना, हावड़ा, आनंद विहार, गरीब रथ जैसे कई ट्रेनों के टिकटों की मांग अपेक्षाकृत कम होने के कारण तत्काल में आम लोगों को टिकट मिल जाता है.

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