रांची: पतरातू प्रखंड के लेम, नेतुआ, चेतमा, मेलानी समेत कई गांवों में खरीफ की खेती के बाद सिंचाई के अभाव में कई खेत परती रह जाते थे. अब इन गांवों की सूरत बदल चुकी है. खेतों में हरियाली फैली हुई है. खेतों में खिले सरसों के पीले व मटर के सफेद फूलों का गुच्छा इन गांवों में आयी संपन्नता बयां कर रहे हैं. इन गांवों में यह बदलाव दो वर्षो के दौरान तेजी से आया है.
यहां लेम माइक्रो वाटरशेड के तहत सिंचाई के साथ-साथ उन्नत कृषि, पशुपालन, सौर ऊर्जा, जीविकोपाजर्न व क्षमता विकास के कार्यक्रम एक साथ चलाये गये हैं. समेकित जलछाजन विकास परियोजना के तहत लेम माइक्रो वाटरशेड स्थित लगभग 500 हेक्टेयर में जलछाजन संबंधी कई कार्य किये जा रहे हैं, जिसे झारखंड स्टेट वाटरशेड मिशन की वित्तीय सहायता से कृषि ग्राम विकास केंद्र रूक्का द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है. यहां के किसानों की जागरूकता से प्रभावित होकर वायर रोप निर्माता कंपनी उषा मार्टिन ने भी अपने सीएसआर कार्यक्रम के तहत सिंचाई कुओं का निर्माण कराया है.
बनाया सिंचाई नाला, होगी गरमा धान की खेती : लेम गांव स्थित मध्य विद्यालय के समीप स्थित प्राकृतिक जल स्रोत का जीर्णोद्धार किया गया है. साथ ही यहां 100 मीटर सिंचाई नाले का भी निर्माण किया गया. इस सिंचाई नाले से प्रतिदिन सैकड़ों लीटर पानी खेतों में जा रहा है. लेम माइक्रो वाटर शेड के अध्यक्ष महेश बेदिया ने बताया कि खरीफ के बाद भी खेतों में पानी जमा है.
अगले माह फरवरी से लगभग 50 एकड़ खेत में धान की गरमा खेती की जायेगी. जलछाजन योजना के तहत पांच नये लॉ वेली लाइन कुएं बनाये गये हैं. इसके अलावा 86 पुराने कुओं का जीर्णोद्धार किया गया है. इनकी सहायता से सैकड़ों एकड़ खेत रबी की खेती गयी है. रबी की खेती के तहत आलू, टमाटर, मटर, चना, सरसों, बैंगन, बंधागोभी, शलजम, गेहूं, प्याज, लहसुन समेत कई फसल लगायी गयी है. केजीवीके की ओर से किसानों को मटर, सूर्यमुखी, टमाटर व फ्रेंचबीन के बीज भी बांटे गये. यहां के किसानों ने पहली बार इंटरक्रॉपिंग के तहत मटर व फ्रेंचबीन के खेत में सूर्यमुखी की खेती की है.