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परेशान होकर आरटीआइ दिया, तो भेज दिया नियुक्ति पत्र

रांची: शिवनंदन कुमार नौ साल से अनुकंपा पर नौकरी के लिए कंपनी का चक्कर लगाता रहा. 2005 में उसके पिता डोमन भुइयां की मौत हो गयी थी. उसने अनुकंपा पर नौकरी के लिए उसी समय आवेदन दिया. 2013 तक वह नौकरी के लिए दौड़ता रहा. हार कर उसने मुख्यालय में सूचना के अधिकार कानून के […]

रांची: शिवनंदन कुमार नौ साल से अनुकंपा पर नौकरी के लिए कंपनी का चक्कर लगाता रहा. 2005 में उसके पिता डोमन भुइयां की मौत हो गयी थी. उसने अनुकंपा पर नौकरी के लिए उसी समय आवेदन दिया. 2013 तक वह नौकरी के लिए दौड़ता रहा.

हार कर उसने मुख्यालय में सूचना के अधिकार कानून के तहत जानकारी चाही थी कि उसकी नौकरी के आवेदन की क्या स्थिति है. जवाब में कंपनी ने उसे नियुक्ति पत्र दे दिया.

आश्चर्य की बात है कि जब नौकरी के लिए नियुक्ति पत्र मिला, तो पता चला कि 2008 में ही उसे नियुक्ति पत्र जारी कर दिया गया है. सीसीएल मुख्यालय में सुरक्षाकर्मी के रूप में उसका पदस्थापन भी किया जा चुका है. शिवनंदन को नौकरी दिये जाने की जानकारी पूर्व में न तो मुख्यालय के अधिकारियों ने दी और न ही एरिया के लोगों ने.

कंपनी की गलती से नहीं कर सका पांच साल नौकरी
शिवनंदन कुमार कंपनी की गलती के कारण पांच साल तक नौकरी नहीं कर सका. कंपनी ने 14.10.2008 को ही नियुक्ति पत्र जारी कर दी थी. इसकी जीएम (एनइइ), मुख्य सुरक्षा अधिकारी, सीएमएस सीसीएल, चीफ मेडिकल अफसर, प्रोजेक्ट ऑफिसर पुनडीह, एरिया फाइनांस मैनेजर, स्टाफ ऑफिसर (पर्सनल), सिक्युरिटी विभाग व अन्य विभागों में भेजी गयी थी. नियुक्ति पत्र के अनुसार उसे पत्र प्राप्त करने के 30 दिनों के अंदर योगदान करना था. पत्र नहीं मिलने के कारण वह समय पर योगदान भी नहीं कर पाया.

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