रांची: झारखंड ने केंद्र सरकार से ग्रीन टैक्स लगाने का अधिकार मांगा है. गुरुवार को होटल बीएनआर में 14 वें वित्त आयोग के साथ बैठक में राज्य सरकार ने कोयला, पेट्रोल को गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) के दायरे से अलग रखने की मांग की है.
इसके अलावा केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के लिए राज्य के पिछड़ेपन को 40 फीसदी महत्व देने (वेटेज) का अनुरोध किया है. बैठक में राज्य सरकार ने आधारभूत संरचना को बढ़ा कर विकास के राष्ट्रीय औसत के स्तर तक पहुंचने के लिए अपनी जरूरतें बतायी. 1.42098 लाख करोड़ रुपये का अनुदान देने का अनुरोध किया.
खनन से विस्थापन व पर्यावरण समस्या : बैठक में राज्य सरकार की ओर से कहा गया : झारखंड खनिज संपदा से भरा राज्य है. पर खनन से बड़े पैमाने पर विस्थापन और पर्यावरण की समस्या पैदा होती है. झारखंड उत्पादक राज्य है. यहां से उत्पादित खनिजों सहित अन्य सामग्री का उपयोग दूसरे राज्यों में होता है. केंद्र सरकार की ओर से प्रस्तावित जीएसटी में उपभोग करनेवाले राज्यों को कर के मामले में लाभ होगा.
ऐसी परिस्थिति में झारखंड को खनिज संपदा का लाभ नहीं मिल पायेगा. साथ ही खनन से आबादी, जमीन और पर्यावरण प्रभावित होंगे. इसलिए राज्य सरकार चाहती है कि इसकी भरपाई के लिए ग्रीन टैक्स (नन वैटेबुल) लगाने का अधिकार दिया जाये. साथ ही कोयला, पेट्रोलियम और लोगों के इस्तेमाल में प्रयुक्त किये जानेवाले अलकोहल को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा जाये. झारखंड को अपने राजस्व का करीब 40 फीसदी इसी क्षेत्र से मिलता है. इन वस्तुओं को जीएसटी के दायरे में लाने से राज्य को भारी आर्थिक नुकसान होगा. झारखंड सरकार की ओर से कहा गया कि राज्य में वैट लागू करते समय केंद्र सरकार ने केंद्रीय करों को खत्म करने से होनेवाले नुकसान की भरपाई करने की बात कही थी. केंद्र ने इस मद में करीब 100 करोड़ का भुगतान राज्य सरकार को अब तक नहीं किया है.
राज्य की स्थिति बतायी
– देश की दो प्रतिशत आबादी झारखंड में रहती है, लेकिन देश के गरीबों का 3.6 फीसदी इसी राज्य में है
– राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद (एनएसडीपी) की तुलना में राज्य का सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) 1.72 प्रतिशत है
– देश के केवल छह राज्य ही प्रति व्यक्ति आय के मामले में झारखंड से पीछे हैं
– एसटी की आबादी के मामले में झारखंड को देश में छठा स्थान प्राप्त है. इस राज्य की उपेक्षा की जाती रही है, जिससे झारखंड पिछड़ा राज्य ही बना रहा
– आधारभूत संरचना के मामले में भी राज्य राष्ट्रीय औसत से काफी पीछे है. राज्य बनने के बाद सरकार ने विकास की गति को तेज किया. इससे राज्य का ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स बढ़ कर 0.574 हुआ है. बावजूद इसके झारखंड ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स के राष्ट्रीय औसत (0.605) से काफी पीछे है
– 2004 से 2012 तक राज्य के जीएसडीपी का ग्रोथ रेट 6.99 प्रतिशत रहा
– 12 वें वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में राज्य सरकार ने वित्तीय दायित्व और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम एक्ट) लागू किया. इसके बाद सरकार ने अपना राजकोषीय घाटा 9.2 प्रतिशत से घटा कर दो प्रतिशत तक नियंत्रित किया है.
– 18.93 प्रतिशत की दर से राजस्व में औसत वृद्धि की है
– सरकार ने अपना राजस्व खर्च 42.2 प्रतिशत से घटा कर 21.6 प्रतिशत करने में कामयाबी हासिल की है
– 2006-07 में सरकार पर देनदारी का बोझ उच्चतम बिंदु पर (जीएसडीपी का 29 प्रतिशत) था. आर्थिक सुधारों की वजह से इसे अब 23.5 प्रतिशत तक नियंत्रण किया जा सका है
क्या है ग्रीन टैक्स
खनन से पर्यावरण व राज्य के अन्य संपदा को होनेवाले नुकसान की भरपाई के लिए राज्य सरकार ने अतिरिक्त सेस (एक्सट्रा टैक्स) लगाने का अधिकार मांगा है. इसे ग्रीन टैक्स नाम दिया गया है. ग्रीन टैक्स से प्राप्त राशि का उपयोग खनन से पर्यावरण समेत अन्य चीजों को होने वाले नुकसान की भरपाई के रूप में किया जायेगा.