चाईबासा : राज्य में अबतक स्थानीयता की नीति नहीं बनना दुखद है. अंतिम सव्रे को आधार बनाकर स्थानीयता की नीति बनायी जानी चाहिए. नीति लागू नहीं होने के कारण यहां के लोगों को विकास का अवसर नहीं मिल रहा है.
राज्य के गठन के 13 साल बाद भी नीति लागू नहीं होना झारखंड के मूलवासियों व आदिवासियों के साथ अन्याय है. ये बातें बुधवार को स्थानीय नीति प्रारूप संगोष्ठी में विधायक बंधु तिर्की ने कही.
उन्होंने कहा कि अंतिम सव्रे को आधार बनाकर उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार स्थानीयता की नीति का मसौदा तैयार किया जाना चाहिए. झारखंड के बुद्धिजीवियों से इस पर राय ली जानी चाहिए.
नीति लागू नहीं होने से चपरासी से लेकर चौकीदार तक के पद पर बाहर के लोग काबिज हैं. संगोष्ठी में आदिवासी मूलवासी अधिकार एकता मंच के प्रवक्ता, प्रेम साही, संयोजक राजेश महतो, अंतु हेम्ब्रम आदि उपस्थित थे.
विस तक निकलेगी रैली
स्थानीयता की नीति लागू करने की मांग को लेकर आठ फरवरी को रांची के मोहराबादी मैदान से विस तक रैली निकाली जायेगी. इससे पहले सूबे के लोगों को स्थानीयता की नीति के बारे में जागरूक करने के लिए 20 जनवरी को आदिवासी मूलवासी अधिकार रथ निकाला जायेगा. रथ पूरे राज्य में घूम-घूमकर स्थानीयता नीति के बारे में बतायेगा.