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पेयजलापूर्ति के मामले में 27 वें स्थान पर है राज्य

रांची: पेयजल स्वच्छता विभाग ने 14 वें वित्त आयोग से 700 करोड़ रुपये की मांग की है. विभाग ने इसे ग्रामीण क्षेत्रों में पाइपलाइन से जलापूर्ति, ‘इनोवेशन’और पंचायतों में प्रशिक्षण मद के लिए मांगा है. विभाग की ओर से कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में पाइपलाइन से पेयजलापूर्ति के मामले में राज्य की स्थिति […]

रांची: पेयजल स्वच्छता विभाग ने 14 वें वित्त आयोग से 700 करोड़ रुपये की मांग की है. विभाग ने इसे ग्रामीण क्षेत्रों में पाइपलाइन से जलापूर्ति, ‘इनोवेशन’और पंचायतों में प्रशिक्षण मद के लिए मांगा है. विभाग की ओर से कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में पाइपलाइन से पेयजलापूर्ति के मामले में राज्य की स्थिति बहुत खराब है. इस मामले में देश भर में यह राज्य 27 वें नंबर पर है. ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय के मामले में राज्य 28 वें नंबर पर यानी सबसे से पीछे है.

ग्रामीण क्षेत्रों में पाइपलाइन जलापूर्ति का राष्ट्रीय औसत 30 है. झारखंड में यह सिर्फ सात प्रतिशत है. अगले पांच साल में स्थिति में सुधार और इसे राष्ट्रीय औसत तक पहुंचाने के लिए राज्य को 6000 करोड़ रुपये की जरूरत है.

राज्य ने इसके लिए आयोग से सिर्फ 700 करोड़ की मांग की है और शेष राशि दूसरे स्नेतों से जुटाने की बात कही है. देश के विकसित राज्य अपने योजना आकार का पांच-छह प्रतिशत पेयजल और स्वच्छता पर खर्च करते हैं. झारखंड में औसतन दो से 2.5 प्रतिशत ही खर्च होता है.

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