रांची: झारखंड-बिहार में मोबाइल घनत्व देश में सबसे कम है. मोबाइल कनेक्शन के आंकड़ों के अनुसार झारखंड-बिहार को एक ही सर्किल माना जाता है. जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, असम, नॉर्थ-इस्ट से भी यहा को मोबाइल फोन घनत्व कम है. दिल्ली इसमें अव्वल है. आंकड़ों के अनुसार झारखंड में प्रति सौ लोगों में 44.08 लोगों के पास मोबाइल या फोन है. नयी दिल्ली में यह आंकड़ा सबसे ज्यादा है.
यहां प्रति सौ लोगों में 222.50 मोबाइल या फोन हैं. आज हर किसी के हाथ में मोबाइल फोन दिखना आम बात है. मजदूरी करनेवाले से लेकर किसी कंपनी का शीर्ष अधिकारी, मोबाइल फोन सबकी जरूरत है.
भारत में टेली डेन्सिटी या फोन घनत्व औसत 73.32 है. यानी प्रति 100 लोगों में 73.32 लोगों के पास फोन है. राष्ट्रीय औसत से नौ राज्यों में फोन घनत्व कम है. इसमें देश के दो बड़े राज्य उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश भी शामिल हैं. वहीं 100 से ज्यादा घनत्व वाले राज्यों में पंजाब, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु व दिल्ली शामिल हैं. इन चार राज्यों में जनसंख्या से ज्यादा फोन कनेक्शन की संख्या है.
शहरी क्षेत्र में ज्यादा फोन
देश की ग्रामीण आबादी के पास फोन कनेक्शन की संख्या काफी कम है. ग्रामीण आबादी की तुलना में फोन घनत्व औसत 44 है, वहीं शहरी क्षेत्रों में यह घनत्व औसत 144.28 है. यानी शहरी क्षेत्रों में आबादी से भी ज्यादा फोन हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी की तुलना में आधे फोन कनेक्शन भी नहीं हैं. देश में 90 करोड़ से ज्यादा फोन कनेक्शन हैं. शहरी उपभोक्ताओं की संख्या लगभग 55 करोड़ है, वहीं ग्रामीण उपभोक्ता 35 करोड़ हैं.
बिहार से बेहतर झारखंड
फोन ग्राहकों के मामले में बिहार के मुकाबले झारखंड की स्थिति बेहतर है. दोनों राज्यों को मिलाकर 5.86 करोड़ फोन उपभोक्ता हैं. इनमें से लगभग 2.10 करोड़ फोन उपभोक्ता झारखंड के हैं. वहीं बिहार में 3.76 करोड़ फोन उपभोक्ता हैं. बिहार की तुलना में झारखंड की आबादी एक तिहाई ही है. बिहार की आबादी 10.38 करोड़ है. वहीं झारखंड की आबादी 3.30 करोड़ है. इस हिसाब से झारखंड में फोन घनत्व औसत 63 है, वहीं बिहार में यह औसत लगभग 35 प्रतिशत है.