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नगर निगम: बिना अनुभव दिया गया काम

रांची: शहर की साफ-सफाई के लिए रांची नगर निगम ने अनुभवहीन एजेंसियों का चयन किया है. टेंडर में 37 एनजीओ में से सात का चयन किया गया था. सात में चार एनजीओ ऐसे थे, जिसके पास साफ-सफाई का अनुभव नहीं था. दो एनजीओ को होटलों और स्कूलों से कचरा उठाने का अनुभव के बदले में […]

रांची: शहर की साफ-सफाई के लिए रांची नगर निगम ने अनुभवहीन एजेंसियों का चयन किया है. टेंडर में 37 एनजीओ में से सात का चयन किया गया था. सात में चार एनजीओ ऐसे थे, जिसके पास साफ-सफाई का अनुभव नहीं था.

दो एनजीओ को होटलों और स्कूलों से कचरा उठाने का अनुभव के बदले में शहर की साफ-सफाई का जिम्मा देने के लिए चुन लिया गया. 2013 के अगस्त माह में पंजीकृत होनेवाले एक एनजीओ को भी सफाई के लिए चुना गया था. कुल मिला कर चयन में भारी गड़बड़ी की गयी है.

चार महीने के एनजीओ पर 12 वार्डो की सफाई का जिम्मा
क्लीन झारखंड नाम के एनजीओ का रजिस्ट्रेशन अगस्त में हुआ था. इसके पास साफ-सफाई का अनुभव नहीं था. चर्चा है कि इस एनजीओ में एटूजेड के पूर्व जीएम अरुण कुमार सिंह की भागीदारी थी. पूर्व जीएम के बड़े अधिकारियों से परिचय होने के कारण ही इन्हें वार्ड नं 28, 29,37,38, 39,40,41,42 व 52,53,54,55 वार्ड के साफ सफाई का जिम्मा दिया गया. इस एनजीओ को दिये जानेवाले 12 वार्डो में से अधिकतर वार्ड वीवीआइपी व वीआइपी कॉलोनी के हैं. इसलिए यहां कचरा का उत्सजर्न भी कम है. इन 12 वार्डो के बदले में इस एनजीओ को निगम प्रतिमाह 36.70 लाख भुगतान करता. इस राशि में से 12.37 प्रतिशत की दर से निगम सर्विस टैक्स भी एनजीओ को देता.

निजी संस्थानों में सफाई के अनुभव पर मिला काम
पूर्णिमा इंटरप्राइजेज का निबंधन 2004 में हुआ था. 10 वर्षो से यह संस्था साफ-सफाई का काम कर रही है, पर वह साफ सफाई निजी संस्थानों, स्कूल-कॉलेज से लेकर कुछ कंपनियों तक सिमटा है. कंपनी द्वारा अब तक गली मुहल्ले से कचरे का उठाव नहीं किया गया है. संस्था को निगम द्वारा 07,09, 10 व 19 वार्ड के साफ सफाई का जिम्मा दिया गया है. इसके एवज में निगम इस संस्था को प्रतिमाह 10.65 लाख रुपये प्रतिमाह भुगतान करता. संस्था के निदेशक प्रताप राय की मानें तो अगर अपने राज्य में यहां के एनजीओ को काम नहीं मिलेगा, तो फिर कहां मिलेगा. श्री राय कहते हैं कि लोकल एनजीओ को काम दिये जाने से बेरोजगारी दूर होगी.

चल फाउंडेशन को सफाई का अनुभव नहीं
चल फाउंडेशन नामक संस्था के पास भी साफ-सफाई का कोई अनुभव नहीं था. इस एनजीओ के हेड प्रकाश रंजन हैं. यह संस्था शहर के होटलों, क्लबों व अपार्टमेंट में साफ सफाई का काम करती है, फिर भी निगम ने इसे सेलेक्ट कर लिया. निगम ने इस एनजीओ को वार्ड नं 15,16,17 व 18 वार्ड की साफ सफाई का जिम्मा दिया. इन वार्डो की साफ सफाई के एवज में निगम ऐसे प्रति माह 9.75 लाख प्रति माह भुगतान करता.

एटूजेड के जोनल मैनेजर को दिया गया काम
एटूजेड में जोनल मैनेजर के रूप में कार्यरत मनोज पांडेय का एनजीओ हेरिटेज एजुकेशन सोसाइटी है. वर्तमान में इस एनजीओ को निगम ने वार्ड संख्या 04,05,06 व 08 नंबर वार्ड की साफ-सफाई का जिम्मा दिया है. संस्था को सफाई के एवज में निगम प्रतिमाह 12.25 लाख रुपये का भुगतान करता. संस्था के हेड मनोज कहते हैं कि हम शहर की सफाई करने में सक्षम है. इसलिए हमने इस प्रक्रिया में भाग लिया.

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