रांची: पहले क्राइसिस, फिर वाहनों की धर-पकड़ से बाजार में बालू की दर में तेजी से उछाल आया है, जिसका सर्वाधिक प्रभाव निर्माण उद्योगों के कारोबार पर पड़ा है. फ्लैट की बुकिंग बंद है.
150 अपार्टमेंट का निर्माण कार्य रांची में ठप है. ईंट भट्ठों ने अपना उत्पादन कम कर दिया है. रांची में जहां प्रतिदिन तीन से पांच हजार ट्रक ईंट की खपत होती थी, अब घटक पांच सौ से हजार ट्रक हो गये हैं. ईंट भट्ठों के मालिक मजदूरों की संख्या घटा रहे हैं. सीमेंट और छड़ की मांग आधी हो गयी है. स्टोन चिप्स हजार ट्रक की खपत होती थी, अब सौ से डेढ़ सौ ट्रक की बिक्री भी नहीं हो पा रही है. इसकी एकमात्र वजह है बालू का न मिलना. यदि बालू मिल भी रहा है, तो ऊंची दर पर.
इस कारण मकान निर्माण करानेवाले टाल रहे हैं. बिल्डर अपना काम रोके हुए हैं. सरकारी भवनों का काम फिलहाल चालू है. उन्हें सामान्य दर पर बालू आपूर्ति हो जाती है, पर आम आदमी को यही बालू एक से तीन हजार रुपये अधिक कीमत देकर खरीदना पड़ रहा है. पुलिस की वसूली बढ़ गयी है, जिसके चलते बालू की कालाबाजारी हो रही है.