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..जोखिम भरे हैं और पांच दिन

स्किन की पहली परत हटने के कारण संक्रमण का बढ़ा खतरा पश्चिम सिंहभूम में स्वास्थ्य सेवाओं की नीव मजबूत करने में जुटे नये सिविल सजर्न डॉ विजयकांत तिवारी की पहल को साकारात्मक नजरिये से देखा जा रहा है. सदर अस्पताल में शीशे की मालिश से जख्मी नवजात की देखभाल में सिविल सजर्न की पहल सराहनीय […]

स्किन की पहली परत हटने के कारण संक्रमण का बढ़ा खतरा

पश्चिम सिंहभूम में स्वास्थ्य सेवाओं की नीव मजबूत करने में जुटे नये सिविल सजर्न डॉ विजयकांत तिवारी की पहल को साकारात्मक नजरिये से देखा जा रहा है. सदर अस्पताल में शीशे की मालिश से जख्मी नवजात की देखभाल में सिविल सजर्न की पहल सराहनीय रही है तो सदर अस्पताल में प्रसूता व नवजात की मौत के मामले में अस्पताल प्रबंधन को स्पष्ट क्लीन चिट दिये जाने के उनके निर्णय पर सवाल भी उठ रहे है.

बताते चले कि सिविल सजर्न डॉ तिवारी ने प्रभार लेने के बाद ही यह संकेत दे दिया था कि किसी चूक पर कार्रवाई की जगह वे सिस्टम में बदलाव लाना अधिक पसंद करेंगे.

चाईबासा : करंज के तेल में सीसा पीसकर मालिश किये जाने गंभीर हालत में पहुंचे बिरसा के लिए आने वाला समय काफी जोखिम भरा है.

सीसा व तेल के मालिश से हुए रिएक्शन के कारण बच्चे के शरीर का ऊपरी स्किन पूरी तरह जल गया है. अब घाव की ऊपर परत सूख कर झड़ने लगी है जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ गया है. कुपोषण केंद्र में बच्चे को संक्रमण से बचाने के लिए दवा दी जा रही है.

फिर भी खुले घाव में ही संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा होने की बात चिकित्सक बता रहे. डॉक्टरों का कहना है कि हालांकि बच्चे की स्थिति पहले से बेहतर है, बावजूद पांच-छह दिन जोखिम भरे है. कुपोषण केंद्र के डॉक्टर जगन्नाथपुर हेम्ब्रम ने बताया कि बच्चे की स्थिति में सुधार हो रहा है.

लेकिन पांच-छ: दिन के बाद का समय जोखिम भरा है. घाव सूखने की दवा दी जा रही है. घाव की ऊपरी परत के झड़ने से संक्रमण फैलने का खतरा है. रिएक्शन के कारण अबतक केवल ऊपर का स्किन ही प्रभावित हुआ है. यदि संक्रमण हो जाता है तो वह शरीर के अंदर भी प्रभाव डालेगा. इसलिए एहतियात के तौर पर बच्चे को जरूरी सुई भी दी जा रही है.

बच्चे में बहुत तेजी से सुधार आ रहा है कुछ दिन बिना किसी परेशानी के निकल गये तो लगभग 15 दिनों में बच्च स्वस्थ हो जायेगा. बच्चे को जननी शिशु सुरक्षा योजना का भी लाभ मिलेगा. इस लिये उसे बाहर भेजने की जरूरत नहीं है.

सीएस ने सदर अस्पताल प्रबंधन को दी क्लीन चिट

चाईबासा : शौचालय में जन्मे बच्चे तथा उसकी मां की मौत पर सीएस ने अस्पताल की व्यवस्था को क्लीन चिट दे दी है. पूरे मामले में डॉक्टर, नर्स व वार्ड अटेंडेंट को निदरेष बताया है. गुरुवार को सीएस डॉ वीके तिवारी ने प्रसूति वार्ड में जाकर पूरे मामले की जांच की. उन्होंने उस जगह का भी जायजा लिया जहां हादसा हुआ.

सीएस ने अस्पताल प्रबंधन को मामले से पूरी तरह बरी करते हुए कहा कि महिला के इलाज में अस्पताल में किसी तरह की लापरवाही नहीं बरती गयी है. हालांकि सिविल सजर्न ने की गयी जांच के बिंदुओं का खुलासा नहीं किया है. टोंटो प्रखंड के बड़ाकुचिया निवासी किरण दास व उसके बच्चे की मौत मंगलवार को हो गयी थी.

अहम कई सवाल

सिविल सजर्न द्वारा सदर अस्पताल की व्यवस्था को क्लीन चिट दिये जाने के बाद जांच के बिंदुओं पर सवाल उठने लगे है. अस्पताल के शौचालय तक गंभीर महिला मरीज को ले जाने की व्यवस्था, प्रसव से पूर्व और अचानक प्रसव होने किये गये चिकित्सीय इंतजाम और छह घंटे बाद बच्चे को कमोड से बाहर निकाले जाने के कारणों रहस्य बना हुआ है. इन बिंदुओं पर क्या जांच की गयी यह अब तक स्पष्ट नहीं है.

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