रांची: हजारीबाग से दशम फॉल पिकनिक मनाने पहुंचा संत स्टीफन स्कूल, हजारीबाग का छात्र शशि मेहता फॉल में डूब गया. उसे बचाने एक व्यक्ति ने गहरे पानी में छलांग लगा दी, लेकिन उसे नहीं बचा पाये. देर शाम तक शशि मेहता के परिजन बुंडू पहुंचे.
उसे निकालने का प्रयास जारी था. शशि 10वीं का विद्यार्थी था. घटना मंगलवार दिन के करीब 10.30 बजे की है. बताया जाता है कि कोचिंग सेंटर से 64 विद्यार्थियों का दल बस से पिकनिक मनाने के लिए दशम फॉल पहुंचा था. इसमें आठवीं, नौवीं और 10वीं के विद्यार्थी शामिल थे. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार शशि दोस्तों को पीछे छोड़ते हुए नीचे उतर गया और एक पत्थर से दूसरे पत्थर को पार कर रहा था. इसी क्रम में उसका पैर फिसल गया और वह गहरे पानी में डूब गया.
परिजन बुंडू पहुंचे, सभी का रो-रो कर हुआ बुरा हाल
शशि मेहता इचाक थाना क्षेत्र अंतर्गत गुंजा गांव निवासी बीरबल मेहता का पुत्र है. इधर, जैसे ही परिजनों को घटना की सूचना मिली, बीरबल मेहता अपनी पुत्री शारदा कुमारी के साथ शाम 4.30 बजे बुंडू पहुंचे. देर शाम तक शशि का कुछ पता नहीं चल पाया था. छात्रों के अनुसार शशि के डूब जाने के बाद शिक्षिका व छात्रों ने ग्रामीणों से उसे बचाने की लाख गुहार लगायी, लेकिन ग्रामीण उसे ढूंढने के एवज में 11 हजार रुपये की मांग कर रहे थे. सभी को मिला कर भी इतने रुपये नहीं थे. गोताखोर पैसे के बगैर शशि को खोजने में दिलचस्पी नहीं ले रहे थे. शिक्षिका नेहा के अनुसार जब किसी ने मदद नहीं की, तब उनलोगों ने तैमारा जाकर पुलिस कैंप को सूचना दी. उसके बाद प्रशासन के लोग वहां पहुंचे. इधर, शशि के पिता, बहन व अन्य परिजनों का रो-रोकर हालत बुरा था.
सजल चक्रवर्ती पहुंचे, डूबे छात्र की तलाश जारी
इधर घटना की सूचना मिलने पर पर्यटन सचिव सजल चक्रवर्ती भी दशम फॉल पहुंचे और घटना की जानकारी ली. घटना के बारे में उन्होंने कहा कि झारखंड के सभी पर्यटन स्थलों की जिम्मेवारी पर्यटन विभाग को नहीं सौंपी जा सकती. उन्होंने कहा कि मैं जिले का कलेक्टर नहीं हूं, पर्यटन सचिव हूं. हमारे पास गोताखोर नहीं हैं. स्थानीय प्रशासन को इसमें सहयोग करना चाहिए.
सावधानी बरतें : दशम फॉल के ऊपर या नीचे स्नान करना खतरनाक है, क्योंकि गहराई करीब 30 फीट है. अंदर बड़े-बड़े नुकीली चट्टानें व उसमें बड़ी-बड़ी दरार हैं.
बहते पानी के नीचे काई रहती है,जो फिसलन भरी है. इसलिए पानी पर चलना या उसे पार करना खतरनाक है. यही स्थिति राजधानी के अन्य जलप्रपात की है.