रांचीः मैथिली को झारखंड में द्वितीय राजभाषा का दरजा मिलना चाहिए. झारखंड लोक सेवा आयोग की परीक्षा में भी मैथिली को शामिल किया जाये. उक्त बातें पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीपी सिंह ने रविवार को हरमू स्थित पटेल मैदान में दो दिवसीय 10वें अंतराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन के उदघाटान समारोह में कही. उन्होंने कहा कि मैथिली एक भाषा नहीं है, बल्कि अपने-आप में एक संस्कृति व सभ्यता है. मैथिली भाषा-भाषी जहां भी रहते हैं, वहां अपनी छाप छाड़ते हैं. नेपाल के पूर्व मंत्री सह सांसद यदुनाथ झा ने कहा कि इस तरह के आयोजन से आगे कार्य करने की प्रेरणा मिलती है.
उन्होंने कहा कि मैथिली को उसका उचित सम्मान देने के लिए सभी को मिल कर कार्य करना होगा. दरभंगा के विधायक संजय सरावगी ने कहा कि झारखंड में मैथिली अकादमी का गठन होना चाहिए. रांची विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा. एए खान ने कहा कि अपनी मातृभाषा से सभी को लगाव होता है. सभी को अपनी मातृभाषा के विकास के लिए कार्य करना चाहिए. अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन के महासचिव बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कार्यक्रम के आयोजन के बारे में बताया. मंच संचालन भारतेन्दु झा व स्वागत भाषण विद्यानाथ झा विदित ने किया. कार्यक्रम के आयोजन में झारखंड मैथिली मंच, मचान व कशिश फाउंडेशन ने सहयोग दिया.
मिथिला रत्न से हुए सम्मानित
समारोह में विभिन्न क्षेत्रों में सरहानीय कार्य करनेवाले लोगों को मिथिला रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया. सम्मान स्वरूप शाल व प्रशस्ति पत्र दिया गया. सम्मानित होनेवालों में चेंद्रेश्वर झा, डा. एए खान, डॉ शीन अख्तर, डॉ केसी टुडू, डॉ राम रंजन सिंह, डॉ अशोक प्रियदर्शी, डॉ विवेकानंद ठाकुर, पंडित सुरेंद्र पाठक, डॉ सहदेव झा, डॉ राजीव रंजन मिश्र, डॉ आरसी मिश्र, यशोनाथ झा, पंचानन मिश्र व कुमार बृजेंद्र शामिल हैं.
सांस्कृतिक कार्यक्रम
सांस्कृतिक कार्यक्रम में डॉ नलिनी चौधरी ने कथक नृत्य प्रस्तुत किया. आकाशवाणी दरभंगा से आये कलाकारों ने गीत प्रस्तुत किया. शाम में सर्व भाषा कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. कवि सम्मेलन में डॉ शीन अख्तर, डॉ अशोक प्रियदर्शी, कुमार बृजेंद्र समेत अन्य कवियों ने भाग लिया.
इससे पूर्व सुबह में मिथिला संस्कृति शोभा यात्र निकाली गयी. यात्र पटेल मैदान हरमू से प्रारंभ हुई. राजधानी के विभिन्न इलाकों से गुजरते हुए कडरू विद्यापति चौक पर आकर संस्कृति शोभायात्रा समाप्त हुई.