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विधानसभा सत्र: सरकार बताये, कौन हैं बसंत सोरेन?

रांची: बालू घाटों की नीलामी पर विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पांचवें दिन विशेष चर्चा की गयी. दूसरी पाली में हुई चर्चा में विपक्ष ने सरकार को घेरा. विपक्ष की ओर से पूरे मामले की सीबीआइ से जांच कराने के साथ अविलंब बालू उठाव शुरू कराने की बात कही गयी. विपक्षी विधायकों ने कहा कि […]

रांची: बालू घाटों की नीलामी पर विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पांचवें दिन विशेष चर्चा की गयी. दूसरी पाली में हुई चर्चा में विपक्ष ने सरकार को घेरा. विपक्ष की ओर से पूरे मामले की सीबीआइ से जांच कराने के साथ अविलंब बालू उठाव शुरू कराने की बात कही गयी. विपक्षी विधायकों ने कहा कि सरकार ने जिस प्रकार से बालू का टेंडर मुंबई की कंपनी को दिया है, यह जांच का विषय है.

बालू नीलामी में नियमों का उल्लघंन कर कंपनी को 410 हेक्टेयर से अधिक घाट का आवंटन किया गया है, जबकि एक कंपनी को सिर्फ 100 हेक्टेयर ही घाट आवंटित करने का प्रावधान है. कहा गया कि बालू उठाव नहीं होने से विकास के काम ठप हैं. लाखों मजदूर बेरोजगार हो गये हैं. ग्रामीण व शहरी इलाकों में बेरोजगारी बढ़ रही है. मजदूरों का पलायन हो रहा है. सरकार कुछ नहीं सुन रही है. कान में तेल डाल कर सो रही है. प्रदीप यादव ने कहा कि आखिर कौन है बसंत सोरेन.

अध्यादेश लाकर ग्रामसभा को दें अधिकार : प्रदीप यादव
झाविमो विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने कहा कि सरकार ने बालू को आम से खास वस्तु बना दिया है. सरकार की लूट-खसोट नीति के कारण राज्य में यह स्थिति उत्पन्न हुई है. अब बालू की ब्लैक मार्केटिंग हो रही है. सरकार को तत्काल अध्यादेश लाकर ग्राम सभा को अधिकार देना चाहिए. साथ ही मुंबई की कंपनी को दी गयी निविदा रद्द करनी चाहिए. सरकार इस मामले को लटका कर कंपनी को कोर्ट में जाने का मौका दे रही है. उन्होंने कहा कि सरकार ने नीहित स्वार्थ के लिए बालू नीलामी प्रक्रिया शुरू करायी. मुख्यमंत्री ने कहा था कि राजस्व की वृद्धि को लेकर नीलामी की प्रक्रिया शुरू की गयी थी. अगर सरकार राजस्व के लिए चिंतित है, तो क्यों नहीं चेक पोस्ट बनाया गया? बेवरिज कॉरपोरेशन को क्यों पंगु बना कर रखा गया है? बालू पर कैबिनेट ने गिरगिट की तरह रंग बदला. कंपनी को ठेका दिलाने को लेकर नियमों की अनदेखी की गयी. घटक दल के मंत्री ददई दुबे ने भी कहा कि बालू नीलामी में 500 करोड़ की डील हुई है. ऐसे में सरकार को इस मामले की जांच सीबीआइ से करानी चाहिए. जांच होने पर साफ हो जायेगा कि किसके इशारे पर यह प्रक्रिया अपनायी गयी. आखिर कौन है बसंत सोरेन. सरकार को सदन में घोषणा करनी चाहिए कि जब तक व्यवस्था नहीं हो जाती है, बालू का उठाव जारी रखा जाये.

सरकार सही, तो सीबीआइ जांच कराये : सीपी सिंह
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सह भाजपा विधायक सीपी सिंह ने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के कार्यकाल में बालू घाट को फ्री छोड़ दिया था. यह फैसला पार्टी की नीति के अनुरूप लिया गया था. पिछले एक माह से बालू को लेकर राज्य में हाहाकार मचा हुआ है. मुख्यमंत्री ने साजिश के तहत बालू से तेल निकालने का उपाय किया था. इसकी भनक गंठबंधन दलों को मिली. ददई दुबे और अन्नपूर्णा देवी ने सरकार पर दबाव बनाया. इसके बाद सरकार को फैसला बदलना पड़ा. श्री सिंह ने कहा कि पुलिस,माइनिंग अफसर की मिलीभगत के बालू की ब्लैक मार्केटिंग हो रही है. लोगों को आठ से 12 हजार रुपये में एक ट्रक बालू मिल रहा है. सरकार बैक डेट से कंपनियों को टेंडर आवंटित करना चाहती है. इसलिए मामले को लटका कर रखा गया है. अगर सरकार की मंशा साफ है, तो इस मामले की सीबीआइ से जांच कराये. सरकार को जनहित का ध्यान रखते हुए अविलंब बालू उठाव शुरू कराने का आदेश देना चाहिए. बालू नहीं मिलने से इंदिरा आवास, पीसीसी पथ के निर्माण कार्य एक माह से बंद पड़ा है. मजदूरों का पलायन हो रहा है. सरकार कान में तेल डाल कर सो रही है.

ग्रामसभा के अधिकार पर नीति बनाये सरकार : विनोद सिंह
माले विधायक विनोद सिंह ने कहा कि बालू घाट का अधिकार ग्राम सभा को देने से संबंधित मामले में सरकार को स्पष्ट नीति बनानी चाहिए. वर्तमान सरकार ने बालू घाट नीलामी प्रक्रिया शुरू कर ग्राम सभा से अधिकार छीनने का काम किया था. जबकि कोर्ट बार-बार पेसा, पंचायत व ग्राम सभा को अधिकार दिलाने की बात कह रहा है. सरकार में नीतियां ऐसी बनायी जा रही है, जिससे बड़े घरानों का फायदा हो. टूजी इस्पेक्ट्रम और कोलगेट घोटाला इसका स्पष्ट उदाहरण है. बालू घाट के मामले में सरकार की ओर से जारी अद्यतन आदेश में सिर्फ यह कहा गया है कि नीलामी उपायुक्त के बजाये ग्राम पंचायत के तहत होगी. इसके लिए कोई नीति नहीं बनायी गयी है.

गलत फैसले से लाखों लोग बेरोजगार : उमाकांत रजक
आजसू विधायक उमाकांत रजक ने कहा कि सरकार के गलत फैसले से राज्य के लाखों मजदूर बेरोजगार हो गये हैं. जब यहां पेसा एक्ट लागू है, तो सरकार को बालू घाट नीलामी के लिए निर्णय लेने का कोई औचित्य नहीं था. इस बात की जांच होनी चाहिए कि आखिर सरकार को मुंबई की कंपनी से इतना लगाव क्यों हुआ? कैबिनेट के निर्णय के बाद भी अब तक बालू का उठाव शुरू नहीं होना चिंता का विषय है. जदयू विधायक सुधा चौधरी ने कहा कि झारंखड की संपत्ति को लूटने के लिए सरकार की ओर से यह निर्णय लिया गया था.

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