रांची: अमेरिकी स्वामी, स्वामी राधानाथ जी 1950 में अमेरिका के शिकागो में जन्मे. किशोरावस्था में ही हिप्पी आंदोलन से प्रभावित होकर वह ईश्वर की खोज में निकल पड़े. छह महीने तक सड़क मार्ग से पैदल चलते और बस से होते हुए वह लंदन से भारत पहुंचे. भारत पहुंच कर वह अद्भुत साधना, तप और ध्यान में डूबे. हिमालय की गुफाओं से लेकर भारत के अध्यात्मिक केंद्रों में रह कर कठिन साधना की.
अद्भुत अध्यात्मिक महापुरुषों से मिले व उनके सानिध्य में रहे. आज दुनिया उन्हें सुनने के लिए बेचैन है. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा व ब्रिटेन की संसद से लेकर हावर्ड, कैंब्रिज, बोस्टन, कोलंबिया, स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी जैसे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शिक्षण संस्थानों के लोग उन्हें सुनने के लिए आतुर रहते हैं.
स्वामी राधानाथ जी ने योगियों, गुरुओं और साधुओं की अध्यात्म भूमि भारत में अद्भुत खोज की. इनकी पुस्तक द जर्नी होम ऑटोबायोग्राफी ऑफ एन अमेरिकन स्वामी (हिंदी अनुवाद : अनोखा सफर-एक अमेरिकी स्वामी की आत्मकथा) की दुनिया में धूम है. उन्हें सुनने का अनूठा मौका रांची के लोगों को मिलनेवाला है.
20 वीं सदी के अंतिम दशक में शायद खुद को तलाशने या ईश्वर को जानने के लिए इतनी अनूठी यात्र किसी ने नहीं की होगी. मात्र 19 वर्ष की उम्र में उनका अमेरिका से लंदन, फिर यूरोप एवं मध्य एशिया के सड़क मार्ग से चल कर भारत पहुंचना, हिमालय के वनों एवं गुफाओं में विख्यात योगियों, नागा बाबाओं, लामाओं एवं साधु-संतों के सानिध्य में शिक्षा ग्रहण करना अद्भुत है. अंतत: भारतीय अध्यात्म के केंद्र बिंदु तक पहुंचना. अलौकिक प्रेम पाना और फिर दुनिया में बांटना. ऐसे हैं, स्वामी राधानाथ जी.