रांची: हरमू मुक्तिधाम के ठीक सामने करोड़ों रुपये की लागत से बनाया गया विद्युत शवदाह गृह आज डेड एसेट बन कर रह गया है. तीन साल से इस शवदाह गृह में एक भी लाश नहीं जली है. यहां तीन साल पहले जो ताला लगाया गया था, उसमें भी अब जंग लग चुकी है. हाल ही में उत्तर प्रदेश के कानपुर से शवदाह गृह की मशीन का निरीक्षण करने के लिए सर्विस इंजीनियरों का एक दल आया, तो वे हालत देख कर चौंक गये. निरीक्षण के पश्चात इन विशेषज्ञों ने निगम को जो रिपोर्ट सौंपी, वह और भी चौंकानेवाली थी. रिपोर्ट में मशीन पूरी तरह से बरबाद बतायी गयी.
मरम्मत मत कराइए, नयी मशीन लगाइए : नगर निगम के अधिकारियों को टीम के सदस्यों ने निरीक्षण के पश्चात जो रिपोर्ट दी, उसमें कहा गया है कि विद्युत शवदाह गृह की मशीन की मरम्मत के बजाय नयी मशीन लगा लेना ही बेहतर है. तीन साल से अनुपयोगी होने के कारण मशीन पूरी तरह से बरबाद हो चुकी है. इसकी मरम्मत में लाखों रुपये खर्च तो होंगे, परंतु ये मशीन कितने दिनों तक काम करेगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है. इसलिए सबसे बेहतर उपाय यह होगा कि इस पुरानी मशीन को हटा कर नयी मशीन ही लगा ली जाये.
घाघरा शवदाह गृह से चोर ले गये खिड़की-दरवाजे : आरआरडीए द्वारा घाघरा में बनाये गये शवदाह गृह की हालत और अधिक बदतर है. 1.30 करोड़ की लागत से बनाये गये इस अधूरे शवदाह गृह में अब तक एक भी लाश नहीं जल सकी है. अधूरे कार्य होने के कारण शुरू से ही इस शवदाह गृह में ताला लटका रहा. आज इस भवन की हालत ऐसी हो गयी है कि इसके ग्रिल व लोहे चोरी कर लिये गये हैं. यहां अब मशीन के नाम पर बस एक ढांचा बच गया है. चोरी के संबंध में निगम के अधिकारियों द्वारा भी कोई एफआइआर भी दर्ज नहीं की गयी है.
1.43 करोड़ से बना हरमू शवदाह गृह
आरआरडीए द्वारा इस विद्युत शवदाह गृह का निर्माण वर्ष 2008 में पूरा किया गया था. निर्माण व मशीनों के लगाये जाने में 1.43 करोड़ की राशि खर्च हुई थी. वर्ष 2010 में यहां पहली बार लाश जली.
इस स्थिति के लिए दोषी कौन
2.73 करोड़ की लागत से निर्मित इन शवदाह गृहों के इस हालत में पहुंचाने के लिए सबसे अधिक दोषी रांची नगर निगम के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी (सीइओ) रहे हैं. शवदाह गृह के उदघाटन से लेकर उसके जजर्र होने तक सीइओ पद पर विनय कुमार चौबे (वर्तमान में रांची डीसी) और दीपंकर पंडा (वर्तमान में रिम्स उपनिदेशक) हैं.
छह शव जला कर हुआ था उदघाटन
शवदाह गृह के उदघाटन के लिए भी निगम को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी. किसी भी व्यक्ति द्वारा यहां लाश नहीं लाये जाने के कारण रिम्स से छह लावारिस लाशों को यहां लाया गया था. इन लाशों को जला कर ही मशीन का उदघाटन किया गया था. आरआरडीए व नगर निगम के लापरवाही के कारण उदघाटन के छह माह बाद ही इसमें जो ताला लगा, अब तक इस भवन में ताला ही लगा हुआ है.