झारखंड में राज्य गठन के साथ ही स्थापित संवैधानिक मूल्यों और मान्य परंपराओं का अतिक्रमण होता रहा है. वर्तमान सरकार भी अपने क्रियाकलाप से संविधान और परंपराओं की धज्जियां उड़ा रही हैं. ऐसा किसी राज्य में नहीं होता कि अफसरों को किसी पार्टी विशेष का बता कर लांछित और अपमानित किया जाये. शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव ने राज्य के एक वरिष्ठ आइएएस अफसर डॉ डीके तिवारी पर भाजपा के करीबी होने का आरोप लगाते हुए कह दिया कि वे पारा शिक्षक की फाइल दाब कर बैठे हुए हैं, जबकि सच यह है कि यह फाइल 29 अक्तूबर से मुख्यमंत्री सचिवालय में पड़ी है. ब्यूरोक्रेसी किसी एक दल की नहीं होती. संविधान के तहत उसका गठन होता है. अगर ब्यूरोक्रेसी के साथ ऐसा ही होता रहा तो काम कैसे होगा?
रांची: पारा शिक्षकों के मानदेय बढ़ाने संबंधी फाइल के बारे में शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव ने गलत सूचना सार्वजनिक की है. उन्होंने कहा था कि योजना विकास के सचिव डॉ डीके तिवारी दो माह से फाइल दबा कर बैठे हैं, पर फाइल की मूवमेंट रिपोर्ट बताती है कि यह 29 अक्तूबर से मुख्यमंत्री सचिवालय के पास पड़ी है. शिक्षा मंत्री ने घोषणा कर दी थी कि पारा शिक्षकों का मानदेय पांच हजार बढ़ा दिया जायेगा. पर, शिक्षा मंत्री यह नहीं बता पा रही हैं कि पारा शिक्षकों का मानदेय पांच हजार बढ़ाने पर 480 करोड़ का जो राज्य पर आर्थिक बोझ आयेगा, उसकी भरपाई कहां से की जायेगी. अब शिक्षा मंत्री पर आरोप लग रहा है कि वे राज्य की आर्थिक स्थिति जाने बगैर ऐसी घोषणा कर रही हैं, जिसे मानना किसी सरकार के लिए संभव नहीं है.
उन पर आरोप है कि ऐसा वे अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए कर रही हैं. शिक्षा मंत्री हाल के दिनों में अपने बयानों और अधिकारियों के खिलाफ मोरचा खोलने के लिए चर्चित रही हैं.
आनन-फानन में लौटायी फाइल
योजना विकास विभाग ने जब पहली बार मानदेय बढ़ोतरी की फाइल वापस की तो शिक्षा विभाग ने आनन-फानन में एक ही दिन में फिर से प्रस्ताव वापस कर दिया. शिक्षा विभाग ने योजना विकास विभाग द्वारा उठाये गये सभी सवालों का जवाब भी नहीं दिया. शिक्षा विभाग ने सिर्फ यह लिख कर फाइल वापस कर दिया कि मानदेय में बढ़ोतरी के लिए पहले झारखंड शिक्षा परियोजना कार्यकारिणी की स्वीकृत आवश्यक नहीं है.
विकास आयुक्त ने की टिप्पणी
शिक्षा विभाग द्वारा जब दूसरी बार फाइल योजना विकास विभाग को भेजी गयी थी तो तत्कालीन विकास आयुक्त ने कहा था कि शिक्षा विभाग ने प्रस्ताव वापस किये जाने के बाद इस पर कोई होम वर्क नहीं किया. उन्होंने अपनी टिप्पणी के साथ फाइल आगे भेज दी.
सालाना 480 करोड़ का भार
पारा शिक्षकों के मामले में शिक्षा विभाग का प्रस्ताव स्वीकार करने पर सालाना 480 करोड़ रुपये का बोझ बढ़ेगा. अगर केंद्र सरकार मानदेय बढ़ाने पर सहमति देती है, तो उस पर प्रति वर्ष 312 करोड़ और राज्य पर 168 करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. अगर केंद्र ने सहमति नहीं दी, तो पूरा बोझ राज्य सरकार पर पड़ेगा. पारा शिक्षकों का मानदेय सर्व शिक्षा अभियान में केंद्र की ओर से निर्धारित फॉरमूले से होता है. इनके मानदेय की 65 प्रतिशत केंद्र और 35 प्रतिशत राशि राज्य सरकार देती है. केंद्र सरकार सर्व शिक्षा अभियान के बजट में लगातार कटौती करती जा रही है. वित्तीय वर्ष 2012-13 के मुकाबले 2013-14 में झारखंड शिक्षा परियोजना के बजट में 50 प्रतिशत की कटौती कर दी गयी है. इससे इस बात का संकेत मिलता है कि भारत सरकार पारा शिक्षकों के बढ़े हुए मानदेय के भुगतान पर सहमति नहीं देगी. भारत सरकार का रुख जानने के लिए शिक्षा परियोजना की कार्यकारिणी की बैठक में विचार विमर्श करना जरूरी है. परिषद की कार्यकारिणी में भारत सरकार के प्रतिनिधि भी सदस्य हैं. अगर कार्यकारिणी की बैठक में यह स्पष्ट हो जाये कि केंद्र सरकार अतिरिक्त पैसा नहीं देगी, तो राज्य सरकार को यह सोचना होगा कि राशि का जुगाड़ा कहां से की जाये.
मुंडा सरकार में भी हुआ था प्रयास
अर्जुनमुंडा की सरकार के समय भी पारा शिक्षकों के मानदेय में बढ़ोतरी का प्रस्ताव तैयार किया गया था, तत्कालीन शिक्षा मंत्री बैद्यनाथ राम की सहमति के बाद इसे वित्त विभाग को भेजा गया था. वित्त विभाग ने पारा शिक्षकों के मानदेय में बढ़ोतरी से इनकार कर दिया था. इसके बाद तत्कालीन विकास आयुक्त की अध्यक्षता में कमेटी गठित हुई थी. कमेटी की अनुशंसा के अनुरूप मानदेय में 200 से लेकर अधिकतम 700 रुपये की बढ़ोतरी हुई थी.
क्या है योजना विकास का सुझाव
1 पारा शिक्षकों की मानेदय बढ़ोतरी पर झारखंड शिक्षा परियोजना की कार्यकारिणी परिषद में विचार हो.
2 पारा शिक्षकों के बढ़े हुए मानदेय का हिस्सा भारत सरकार भुगतान करेगी कि नहीं, इसे सुनिश्चित किया जाये. इस संबंध में भारत सरकार के अधिकारी से भी बातचीत कर ली जाये, इसके बाद हो अंतिम निर्णय.
3 एकमुश्त राशि बढ़ाने के बदले इसे फेजवाइज बढ़ाने पर विचार-विमर्श किया जाये.
इन बिंदुओं पर विचार के बाद इस संबंध में कोई अंतिम निर्णय लिया जाय.
500 के मानदेय पर हुए नियुक्त
राज्य गठन के बाद शुरुआत में पारा शिक्षक अभियान विद्यालय में नियुक्त किये गये थे. डीपीइपी कार्यक्रम के तहत पारा शिक्षकों को प्रतिमाह 500 रुपये मानदेय दिया जाता था. सर्व शिक्षा अभियान शुरू होने के बाद वर्ष 2003 में पारा शिक्षकों का मानेदय बढ़ा कर एक हजार कर दिया गया. वर्ष 2004 में मानदेय बढ़ा कर दो हजार कर दिया गया है. 2005 में आंदोलन के बाद पारा शिक्षकों के मानदेय को तीन स्लैब में बांट दिया गया. पारा शिक्षक को 2500, 3000 व 3500 रुपये दिया जाने लगा. वर्ष 2009 में मानदेय बढ़ा कर 5000, 5500 व 6000 रुपये कर दिया गया. वर्ष 2012 में आंदोलन के बाद पारा शिक्षकों का मानदेय बढ़ा कर 5700,6200 व 6700 कर दिया गया.
चर्चा में रही हैं शिक्षा मंत्री
शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव पहले घोषणा कर देती हैं, यह नहीं देखती है कि उनकी घोषणा को कोई सरकार लागू करने की स्थिति में है या नहीं, वह घोषणा संविधान के दायरे में है या नहीं, नियम सम्मत है या नहीं. घोषणा के बाद वह सरकार पर ऐसी घोषणाओं को लागू करने का दबाव बनाती हैं. यही कारण है कि उनका बयान सिर्फ बयान बन कर रह जाता है. पढ़िए शिक्षा मंत्री के कुछ बयान और उसकी वास्तविक स्थिति.
बयान : पहले स्थानीय नीति बनेगी फिर शिक्षकों की नियुक्ति होगी.
स्थिति : स्थानीय नीति नहीं बनी, नियुक्ति प्रक्रिया शुरू.
बयान : टेट से मगही भोजपुरी को हटायेंगे, इसके बाद होगी शिक्षकों की नियुक्ति.
स्थिति : मगही, भोजपुरी टेट से बाहर नहीं हुई.
बयान : टेट में एससी-एसटी का पास मार्क्स 55 से घटा कर 40 फीसदी करेंगे.
स्थिति : परीक्षा हो गयी, अब अंक प्रतिशत कम नहीं होगा.
बयान : टेट में रिजल्ट रिजेक्ट होने वालों का रिजल्ट जारी किया जायेगा.
स्थिति : रिजेक्ट विद्यार्थियों का रिजल्ट जारी नहीं हुआ.
बयान : पारा शिक्षकों के मानदेय में पांच हजार रुपये की प्रतिमाह बढ़ोतरी करेंगे.
स्थिति : मानदेय में बढ़ोतरी का मामला फिलहाल लंबित.
बयान : खाना बनाने वाली रसोइयों के मानदेय में प्रति माह एक हजार की बढ़ोतरी होगी.
स्थिति : मानदेय में बढ़ोतरी का मामला अधर में
बयान :एससी-एसटी मैट्रिक पास बच्चों को रिजल्ट के साथ दिया जायेगा प्रमाणपत्र.
स्थिति : जिलों में इसकी प्रक्रिया अब तक शुरू नहीं.
बयान : मानदेय बढ़ोतरी नहीं होने के लिए अधिकारी को जिम्मेदार बता रही.
स्थिति : फाइल 29 अक्तूबर को ही सीएम कार्यालय को भेज दी गयी. इसकी जानकारी शिक्षा सचिव व प्राथमिक शिक्षा निदेशक को दी गयी.
मानदेय : घोषणा के बाद फाइल मूवमेंट
17 -10-2013 : योजना विकास विभाग ने प्रस्ताव के कुछ बिंदुओं पर जानकारी मांगते हुए, फाइल लौटा दी.
18 -10-2013 : शिक्षा विभाग ने फिर से मानदेय बढ़ोतरी का प्रस्ताव योजना विकास विभाग को भेज दिया.
28 -10-2013 : प्रस्ताव विशेष सचिव ने योजना सचिव के समक्ष रखी.
29-10 2013 : विकास आयुक्त ने मुख्यमंत्री सचिवालय को फाइल भेज दी.
प्रस्ताव सीएमओ को भेज दिया.
पारा शिक्षकों की मानदेय बढ़ोतरी का क्या हुआ?
प्रस्ताव योजना विकास विभाग में है, जल्द निर्णय लिया जायेगा.
इससे 480 करोड़ का आर्थिक बोझ पड़ेगा, पैसा कहां से आयेगा?
जब हम किसी से काम लेंगे तो पैसा भी तो देना होगा. (पैसा पर साफ-साफ जवाब नहीं दिया)
65} राशि केंद्र सरकार देती है, अगर केंद्र ने राशि नहीं दी तो?
65} राशि केंद्र देता है, इसलिए ही तो मानदेय बढ़ाने में परेशानी नहीं होनी चाहिए. केंद्र नहीं देगा तो फिर जो होगा वहीं किया जायेगा. (पैसा कहां से आयेगा, इस पर कुछ नहीं कहा)
मानदेय बढ़ोतरी की फाइल 29 अक्तूबर से सीएमओ में है, फिर योजना विकास सचिव कैसे जिम्मेदार हैं?
डॉ डीके तिवारी मानदेय बढ़ोतरी को लेकर शुरू से सकारात्मक नहीं रहे हैं. जब वे शिक्षा विभाग में थे, तब भी उनका रुख सकारात्मक नहीं था. योजना विकास में भी वे फाइल अपने पास रखे हुए थे.
मानदेय बढ़ोतरी में अब क्या होगा?
इस संबंध में मुख्यमंत्री से बात करूंगी.